Beyond Psychology by Osho | Complete Book Summary in Hindi | Life-Changing Spiritual Lessons
Sep 2, 2025
✨ अगर आप spiritual growth, self-realization और inner peace की तलाश में हैं, तो यह वीडियो आपके लिए है। 🔔 चैनल को subscribe करें और bell icon दबाएँ ताकि ऐसे ही life-changing book summaries आप तक सबसे पहले पहुँचें।
View Video Transcript
0:02
ओशो कहते हैं कि मनुष्य की सबसे बड़ी
0:05
समस्या है। वह खुद को समझ नहीं पाता। हम
0:08
बाहर की दुनिया को एक्सप्लोर करते हैं।
0:10
साइंस, टेक्नोलॉजी, सोसाइटी लेकिन अपने
0:13
इनर वर्ल्ड को भूल जाते हैं। साइकोलॉजी
0:16
जिसमें फ्रूड, जंग, एडलर आदि की ने माइंड
0:20
को समझने की कोशिश की है। लेकिन ओशु कहते
0:23
हैं साइकोलॉजी स्टॉप्स एट द माइंड। ट्रू
0:27
अंडरस्टैंडिंग बिगिंस बिय्ड द माइंड। यानी
0:31
असली ग्रोथ तब होती है जब इंसान माइंड से
0:36
बिय्ड जाता है।
0:38
सेक्शन वन इज अबाउट माइंड द इल्लुजन। ओशो
0:43
बताते हैं कि हमारा माइंड असल में हमारी
0:46
कंडीशनिंग है। परिवार की सोच, समाज के
0:50
रूल्स। धर्म के बिलीव्स, शिक्षा की
0:53
ट्रेनिंग यह सब मिलकर माइंड क्रिएट करते
0:56
हैं। लेकिन असली आप माइंड नहीं है। आप
1:01
उससे कहीं गहरे हैं। प्योर कॉन्शियसनेस।
1:05
ओशो कहते हैं माइंड इज अ मैकेनिज्म। यू आर
1:08
नॉट द माइंड। यू आर द वॉचर। यानी माइंड
1:12
सिर्फ एक टूल है लेकिन हम उसे अपनी
1:16
आइडेंटिटी समझ बैठे हैं। माइंड इज इक्वल
1:20
टू सर्वेंट होना चाहिए। लेकिन हम उसे
1:23
मास्टर बना बैठे हैं। सेक्शन टू लिविंग इन
1:27
द प्रेजेंट। ओशो का बड़ा एफसिस है लिविंग
1:31
इन द प्रेजेंट मोमेंट पर। माइंड हमेशा दो
1:34
डायरेक्शंस में भागता है। पास्ट जिसमें
1:36
आती हैं हमारी रिग्रेट्स या मेमोरीज और
1:40
फ्यूचर जिसमें आती हैं वरीज और एंबिशंस।
1:43
रिजल्ट आप अभी का आनंद खो देते हो। ओशो
1:47
कहते हैं लाइफ इज ओनली हियर एंड नाउ।
1:50
माइंड नेवर लिव्स हियर। इट लिव्स इदर इन
1:54
मेमोरीज और इन इमेजिनेशन। इसलिए जो बिय्ड
1:58
साइकोलॉजी जीना चाहते हैं उन्हें पहले
2:01
अवेयरनेस ऑफ प्रेजेंट सीखना होगा। इसके
2:04
लिए एक सिंपल एक्सरसाइज है। जब आप खा रहे
2:07
हो तो बस ईटिंग पर ध्यान दो। जब आप चल रहे
2:11
हो तो बस वॉकिंग पर ध्यान दें। यही ध्यान
2:15
मेडिटेशन की शुरुआत है।
2:18
सेक्शन थ्री में बात करेंगे फ्रीडम फ्रॉम
2:21
कंडीशनिंग। हम सब अनकॉन्शियसली दूसरों के
2:26
बनाए हुए पैटर्न्स फॉलो करते हैं। ऐसे
2:29
बिहेव करना चाहिए। यह अच्छा है, यह बुरा
2:32
है। यह पाप है, यह पुण्य है। यह सारी
2:35
बातें हमें समाज बताता है। यही सब बातें
2:39
हम अपने पेरेंट्स से, स्कूल, कॉलेज, अपने
2:42
नेबरहुड से, अपने दोस्तों से, अपने
2:45
संबंधियों से सुनते हैं। यह सब बोरोड
2:48
वॉइसेस हैं। लेकिन ओशो कहते हैं अगर आप सच
2:53
में फ्री होना चाहते हैं, तो इन
2:55
कंडीशनिंग्स को देखना और उनसे डिटच होना
2:58
होगा। फ्रीडम मींस यू आर नॉट एक्टिंग आउट
3:01
ऑफ कंडीशनिंग। यू आर एक्टिंग आउट ऑफ
3:03
कॉन्शियसनेस। एग्जांपल अगर आप किसी को
3:07
स्माइल देते हैं सिर्फ इसीलिए कि सोसाइटी
3:10
कहती है पोलाइट बनो तो यह कंडीशनिंग है।
3:13
अगर स्माइल नेचुरली आपके भीतर से उठे तो
3:16
यह कॉन्शियसनेस है। सेक्शन फोर मेडिटेशन द
3:22
डोर बिय्ड माइंड। ओशो बार-बार कहते हैं कि
3:25
माइंड से बाहर आने का एकमात्र तरीका है
3:28
मेडिटेशन। मेडिटेशन का मतलब है साइलेंस
3:32
यानी शांति।
3:34
अवेयरनेस,
3:36
रिकनेसिंग।
3:38
मेडिटेशन का पहला कदम है वाचिंग योर
3:40
थॉट्स। माइंड में हजारों थॉट्स आते जाते
3:43
हैं। आप उन्हें जज मत करें। सप्रेस मत
3:46
करें। बस वीकनेस करें। धीरे-धीरे डिस्टेंस
3:50
बनता है। आप समझ जाते हैं कि आप थॉट्स
3:53
नहीं है और यही पहली झलक है आपकी रियल
3:58
सेल्फ की। सेक्शन फाइव बिय्ड साइकोलॉजी द
4:02
इनर जर्नी। ओशू के अनुसार साइकोलॉजी मन को
4:07
एनालाइज करती है लेकिन उससे रिलीज नहीं
4:10
करती। फ्रूड ने कहा माइंड ड्राइव्स से
4:14
चलता है। जंग ने कहा अनकॉन्शियस आर्क
4:17
टाइप्स से। एलर ने कहा पावर से। लेकिन ओशो
4:21
कहते हैं यह सब थ्योरीज लिमिटेड है। असली
4:25
जर्नी शुरू होती है जब आप माइंड की पकड़
4:28
से मुक्त होकर प्योर एवरनेस में उतरते
4:32
हैं। बिय्ड साइकोलॉजी इज मेडिटेशन लव,
4:36
साइलेंस एंड ब्लिस।
4:39
ओशो कहते हैं कि माइंड सिर्फ एक
4:40
इंस्ट्रूमेंट है। असली आप उससे परे हैं।
4:45
माइंड मेमोरीज और इम इमेजिनेशंस से बना
4:49
है। लाइफ हमेशा प्रेजेंट में अनफोल्ड होती
4:52
है। कंडीशनिंग से मुक्त होना ही फ्रीडम
4:55
है। मेडिटेशन वह डोरवे है जो आपके माइंड
4:59
से परे आपकी असली चेतना तक ले जाती है।
5:03
बिय्ड साइकोलॉजी का पहला स्टेप यही है।
5:06
अपने माइंड को देखना और उससे डिटच होना।
5:12
आगे ओशो बात करते हैं ह्यूमन बीइंग्स एंड
5:16
देयर इनर कॉन्फ्लिक्ट के बारे में। ओशो
5:19
कहते हैं कि मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या
5:22
यह नहीं है कि वह बाहर की दुनिया को कॉनकर
5:25
नहीं कर पा रहा। असल समस्या है वह खुद को
5:28
ही नहीं समझ पा रहा। हर इंसान भीतर से
5:31
डिवाइडेड है। एक तरफ सोसाइटी की की आवाज
5:35
ऐसे बनो, ऐसे करो। दूसरी तरफ अपनी इनर
5:39
वॉइस मुझे कुछ और चाहिए। यही कॉन्फ्लिक्ट
5:43
ए्जायटी और सफरिंग का कारण है। साइकोलॉजी
5:47
इस कॉन्फ्लिक्ट को स्टडी करती है। लेकिन
5:49
ओशो कहते हैं कि इसका सशन केवल अवेयरनेस
5:52
और मेडिटेशन में है।
5:55
अगले चरण में ओशो बात करते हैं द प्रजन ऑफ
5:58
सोसाइटी। कैसे समाज हमें कैदी बना देता
6:00
है? हम पैदा होते ही कंडीशनिंग
6:04
में फंसना स्टार्ट हो जाते हैं। रिलीजन
6:06
बताता है कौन सा सही है, कौन सा गलत।
6:09
पेरेंट्स बताते हैं यह मत करो, यह करो।
6:11
टीचर्स बताते हैं एंबिशन रखो, सक्सेसफुल
6:14
बनो। धीरे-धीरे हम एक मास्क पहन लेते हैं।
6:17
एक नकली पर्सनालिटी जो सोसाइटी को दिखाने
6:21
के लिए है। ओशो कहते हैं, यू आर लिविंग इन
6:24
अ प्रज़न क्रिएटेड बाय अदर्स। फ्रीडम
6:26
बिगिंस व्हेन यू सी दैट प्रजन। अगर कोई
6:30
बच्चा डांस करना चाहता है, लेकिन उसे
6:33
डॉक्टर बनने बनने के लिए पुश किया जाता
6:35
है, वह अपने ट्रू सेल्फ से दूर चला जाता
6:38
है। यही डिस्टेंस डिप्रेशन और एंप्टीनेस
6:42
क्रिएट करती है। आगे ओशो बात करते हैं
6:46
ड्रॉपिंग द मास्क। नकली पहचान छोड़ना। ओशो
6:49
कहते हैं मनुष्य ने कई मास्क पहने हुए
6:52
हैं। पहला मोरल मास्क। अच्छा आदमी बनने का
6:56
दिखने का दबाव। दूसरा सोशल मास्क स्टेटस
7:00
और रेपुटेशन मेंटेन करने का दबाव। तीसरा
7:04
रिलीजियस मास्क। पाप पुण्य की लैंग्वेज
7:08
में जीना। लेकिन असली आप इन मास्क के पीछे
7:12
छुपे हुए हैं। जब तक मास्क हैं आप
7:14
ऑनटिकिंग नहीं हो सकते। ट्रुथ कैन नॉट बी
7:18
फाउंड बिहाइंड मास्क। ट्रुथ रिवील्स
7:22
इटसेल्फ व्हेन मास्क आर ड्रॉप्ड।
7:25
प्रैक्टिकल स्टेप मेडिटेशन में बैठकर
7:28
ऑब्जर्व करें कि कौन सी आइडेंटिटी बोरोड
7:32
है और कौन सी आपकी रियल है। धीरे-धीरे
7:35
फॉल्स लेयर्स गिरने लगती हैं।
7:39
आगे बात करते हैं ईगो द ग्रेटेस्ट
7:41
इल्लुजन। ओशो का दूसरा बड़ा पॉइंट है ईगो।
7:46
ईगो वह फॉल्स आई है जो कंडीशनिंग और
7:49
कंपैरिजन से बना है। ईगो कहती है मैं बड़ा
7:53
हूं, सक्सेसफुल हूं, पावरफुल हूं लेकिन
7:56
असली सेल्फ को ईगो छिपा देती है। ईगो
7:59
हमेशा दूसरों पर डिपेंड करती है। अगर लोग
8:03
आपको प्रेस करें तो ईगो खुश। अगर
8:06
क्रिटिसाइज करें तो ईगो दुखे। ओशो कहते
8:09
हैं ईगो इज अ फॉल्स सेंटर। द रियल सेंटर
8:12
इज योर कॉन्शियसनेस सॉल्यूशन। ईगो को
8:16
ऑब्जर्व करो। जैसे ही आप देखने लगते हैं
8:18
कि ईगो रिएक्शंस दे रही है, वैसे ही आप
8:21
उससे अलग हो जाते हैं। आगे बात करते हैं
8:25
अवेयरनेस की। द मेडिसिन ऑफ ऑल इलनेस। ओशो
8:30
अवेयरनेस को मास्टर की मानते हैं। आप
8:33
गुस्सा हो तो अवेयरनेस रखें। गुस्सा हो
8:36
रहा है। जब जेलसी हो अवेयरनेस रखें।
8:39
ईर्ष्या उठ रही है। जब लव हो अवेयरनेस
8:42
रखें। प्रेम की एनर्जी है। अवेयरनेस का
8:44
मतलब है बिना जजमेंट सिर्फ विटनेसिंग। यह
8:47
विटनेसिंग ही आपके भीतर ट्रांसफॉर्मेशन
8:50
लाती है। अवेयरनेस इज द ओनली एल्कमी विद
8:54
अवेयरनेस पोइजन टर्न्स इनू नेक्टर।
8:56
एग्जांपल अगर आप कॉन्शियस होकर गुस्सा
9:00
देखें तो वही एनर्जी धीरे-धीरे कंपैशन में
9:04
बदल सकती है। आगे बात करते हैं डिजायर और
9:08
डिसकंटेंट की। ओशो कहते हैं कि इंसान
9:11
हमेशा डिजायर्स में उलझा रहता है। एक
9:14
डिजायर पूरी हुई तो दूसरी पैदा हो जाती
9:16
है। पैसा मिला अब पावर चाहिए। पावर मिली
9:19
अब रिस्पेक्ट चाहिए। रिस्पेक्ट मिला अब
9:22
इमोर्टिटी चाहिए। डिजायर एंडलेस है और इसी
9:25
एंडलेस दौड़ में इंसान कभी सेटिस्फाई नहीं
9:28
होता। ओशो कहते हैं डिजायर इज द रूट ऑफ
9:32
मरी। व्हेन डिजायर स्टॉप्स ब्लिस अराइज़ेस
9:35
सॉल्यूशन डिजायर को सप्रेस मत करो। बस
9:39
उसकी नेचर समझो। ऑब्जर्व करो कि हर बार
9:43
डिजायर फुलफिल होने के बाद टेंपरेरी
9:46
हैप्पीनेस मिलती है। फिर नया खालीपन पैदा
9:49
होता है। यह अंडरस्टैंडिंग धीरे-धीरे आपको
9:52
डिटचमेंट लाएगी।
9:54
आगे बात करते हैं द स्टेट ऑफ नो माइंड।
9:57
ओशो का अल्टीमेट गोल है नो माइंड। माइंड
10:00
का मतलब है थॉट्स, ईगो, डिजायर्स,
10:03
कंडीशनिंग्स। नो माइंड का मतलब है प्योर
10:06
साइंस। जहां कोई थॉट नहीं, सिर्फ अवेयरनेस
10:10
हो। मेडिटेशन आपको इस स्टेट तक ले जाती
10:13
है। नो माइंड इज नॉट अगेंस्ट माइंड। इट इज
10:16
द फ्लावरिंग ऑफ कॉन्शियसनेस बियड द माइंड।
10:19
नो माइंड की स्थिति में इंसान रियल फ्रीडम
10:22
एक्सपीरियंस करता है। फियर गायब हो जाता
10:25
है। पास्ट और फ्यूचर रेलेवेंट हो जाते
10:27
हैं। आप खुद को यूनिवर्स के साथ एक महसूस
10:31
करते हो। आगे बात करते हैं लव द एनर्जी
10:34
बिय्ड साइकोलॉजी। ओशो कहते हैं कि जब आप
10:38
माइंड से परे जाते हैं तो आपके भीतर
10:41
नेचुरल क्वालिटी आती है। लव। यह लव
10:44
रोमांटिक नहीं बल्कि प्योर एनर्जी है। ईगो
10:47
बेस्ड लव पोजेशन होता है। ट्रू लव
10:50
अनकंडीशनल होता है। जब अवेयरनेस बढ़ती है
10:53
तो ऑटोमेटिकली कंपैशन और लव पैदा होता है।
10:56
लव इज नॉट समथिंग यू डू। लव इज समथिंग यू
10:59
बिकम। एग्जांपल अगर आप मेडिटेटिव हैं तो
11:03
आपका प्रेजेंस ही दूसरों को हीलिंग और जॉय
11:07
देगा। आगे बात करते हैं डेथ द फाइनल
11:11
लिबरेशन की।
11:14
ओशो डेथ को एंड नहीं मानते। वह कहते हैं
11:17
डेथ एक डोरवे है ट्रांसफॉर्मेशन का। ईगो
11:20
को डेथ से डर लगता है। कॉन्शियसनेस को डेथ
11:23
से कोई डर नहीं क्योंकि कॉन्शियसनेस एटरनल
11:26
है। जब आप मेडिटेटिव होते हैं तो डेथ एक
11:30
सेलिब्रेशन बन जाती है। टू डाई कॉन्शियसली
11:33
इज द ग्रेटेस्ट आर्ट ऑफ लाइफ। उषा कहती
11:36
हैं कि इंसान का जीवन तब तक अधूरा है जब
11:39
तक वह माइंड, ईगो और कंडीशनिंग से मुक्त
11:42
नहीं होता। सोसाइटी ने हमें मास्क और
11:45
प्रजन में बंद कर रखा है। ईगो हमें दूसरों
11:49
पर डिपेंड रखती है। डिजायर्स एंडलेस है और
11:52
मजरी क्रिएट करती है। अवेयरनेस ही वह
11:55
मेडिसिन है जो आपको ट्रांसफॉर्म कर सकती
11:58
है। मेडिटेशन हमें नो माइंड की अवस्था तक
12:01
ले जाती है जहां ब्लिस और लव नेचुरली
12:04
अराइज होते हैं। डेथ भी तब डर नहीं बल्कि
12:07
एक उत्सव बन जाता है। बियों्ड साइकोलॉजी
12:10
का दूसरा स्टेप यही है। ईगो और कंडीशनिंग
12:13
को देखना, डिजायर्स को समझना और अवेयरनेस
12:16
में जीना।
12:18
[संगीत]
12:20
अगले चरण में ओशो बात करते हैं जर्नी थ्रू
12:24
इनर साइलेंस। ओशो कहते हैं कि साइकोलॉजी
12:26
सिर्फ माइंड की समस्याओं को एनालाइज करती
12:29
है। लेकिन असली जीवन की ट्रांसफॉर्मेशन
12:33
साइलेंस और मेडिटेशन में है। माइंड हमेशा
12:37
रेस्टलेस है। लेकिन आपके भीतर एक ऐसी
12:41
सेंटर है जो हमेशा साइलेंट और पीसफुल है।
12:45
साइलेंस और मेडिटेशन की गहराई जानेंगे
12:48
अगले पार्ट में हम। उसके अलावा फ्रीडम और
12:51
इंडिविजुअलिटी, ऑथेंटिक लिविंग और ट्रुथ
12:54
और ब्लिस की खोज। आगे बात करते हैं
12:57
साइलेंस द फॉरगॉटन लैंग्वेज के बारे में।
13:00
ओशो कहते हैं कि असली भाषा साइलेंस है।
13:02
वर्ड्स केवल सरफेस पर कम्युनिकेशन करते
13:06
हैं। लेकिन साइलेंस से हार्ट टू हार्ट
13:08
कनेक्शन होता है। माइंड नॉइस से भरा है।
13:11
थॉट्स, मेमोरीज, डिजायर्स एंड फिय्स।
13:15
लेकिन जब आप साइलेंस में उतरते हैं तब
13:19
असली आपसे मुलाकात होती है। साइलेंस इज़
13:22
नॉट जस्ट द एब्सेंस ऑफ़ नॉइसेस। साइलेंस इज़
13:25
द प्रेज़ेंस ऑफ़ योरसेल्फ। मतलब साइलेंस का
13:28
मतलब एब्सेंस नॉइज़ का अभाव नहीं है।
13:32
साइलेंस का मतलब है कि आपकी प्रेजेंस है
13:34
उसमें। और इसके लिए प्रैक्टिकल टिप्स हैं।
13:37
मेडिटेशन में बैठकर सिर्फ अपनी ब्रेथ को
13:40
ऑब्ज़र्व करो। अपनी सांस पर ध्यान दो। और
13:43
देखो वह कैसे मूव करती है। धीरे-धीरे
13:46
माइंड की चैटर सेटल होने लगेगी। माइंड के
13:49
भीतर से जो अलग-अलग तरह की आवाें आती हैं
13:51
वो आनी बंद हो जाएंगी और आप एक ध्यान की
13:55
मुद्रा में चले जाओगे और मेडिटेशन बाय
13:57
डिफॉल्ट हो जाएगी।
13:59
आगे बात करते हैं मेडिटेशन द पाथलेस पाथ।
14:02
मतलब मेडिटेशन एक ऐसा रास्ता है जिसका कोई
14:06
रास्ता ही नहीं है। मेडिटेशन के बारे में
14:09
ओशो कहते हैं यह कोई टेक्निक्स नहीं है।
14:12
यह एक स्टेट है। टेक्निक आपको प्रिपेयर
14:15
करती है। लेकिन मेडिटेशन स्वयं
14:18
स्पॉनटेनियसली होता है। यानी अकस्मात। कई
14:21
लोग मेडिटेशन को भी एंबिशन बना लेते हैं।
14:24
मुझे एनलाइटमेंट चाहिए। लेकिन यह भी एक
14:27
डिजायर है, इच्छा है। ओशो कहते हैं
14:30
मेडिटेशन इट इज नॉट समथिंग यू डू।
14:33
मेडिटेशन हैपेंस व्हेन यू रिलैक्स व्हेन
14:36
यू आर इन डीप एक्सेप्टेंस ऑफ व्हाट इज।
14:41
मतलब मेडिटेशन कोई ऐसी चीज नहीं जो आप
14:44
करते हो। मेडिटेशन तब होती है जब आप
14:46
रिलैक्स होते हो। जब आप एक गहरे
14:50
एक्सेप्टेंस
14:52
की स्टेट में होते हो और जो कुछ है उसको
14:55
मानते हो। उदाहरण अगर आप नदी किनारे बैठे
14:58
हैं और बिना किसी एफर्ट के हवा, पानी और
15:01
साइलेंस फील कर रहे हैं। यह मेडिटेशन है।
15:05
आगे बात करते हैं फ्रीडम। द कोर ऑफ
15:08
स्पिरिचुअलिटी। ओशो स्पिरिचुअलिटी को
15:11
फ्रीडम से जोड़ते हैं। फ्रीडम सोसाइटी से,
15:14
बोरोड बिलीव से जो लोगों ने हमें अलग-अलग
15:16
तरह के बिलीव्स दिए हैं। फ्रीडम्स ईगो से,
15:20
मैं से, अपनी फॉल्स आइडेंटिटी से जो कई
15:23
बार हम लोगों के लिए ही क्रिएट करते हैं।
15:25
फ्रीडम डिजायर्स से, एंडलेस दौड़ से यह
15:29
पाना है, वह पाना है। फ्रीडम्स डेथ से,
15:32
डेथ का मतलब फियर से, डर से। फ्रीडम का
15:36
मतलब है आप अपने ऑथेंटिक सेल्फ में जी रहे
15:40
हो। फ्रीडम इज द फ्रेगेंस ऑफ मेडिटेशन।
15:44
मेडिटेशन की खुशबू में ही आपकी आजादी का
15:47
एहसास है।
15:50
एग्जांपल अगर आप कोई काम सिर्फ इसलिए कर
15:52
रहे हैं कि लोग एप्रिशिएट करेंगे। आप फ्री
15:55
नहीं है। अगर आप वही काम करते हैं क्योंकि
15:58
आपकी इनर जो है उसे चाहती है यही फ्रीडम
16:01
है। आगे बात करते हैं ऑथेंटिक लिविंग की।
16:06
ओशो कहते हैं कि दुनिया में सबसे बड़ा करज
16:08
है ऑथेंटिक होना मतलब रियल होना।
16:11
लेकिन सोसाइटी ऑथेंटिटी
16:14
से डरती है क्योंकि ऑथेंटिक लोग रूस
16:17
तोड़ते हैं। ऑथेंटिक पर्सन कभी बोरेड
16:20
मोरलिटी फॉलो नहीं करता। वह अपने हार्ट की
16:23
अपने दिल की सुनता है। टू बी ऑथेंटिक मींस
16:26
टू बी ट्रू टू योरसेल्फ नॉट टू द
16:28
एक्सपेक्टेशन ऑफ अदर्स। मतलब एक रियल
16:31
इंसान होना मतलब अपने आप के साथ सच्चा
16:34
होना। दूसरों की एक्सपेक्टेशंस। दूसरे
16:37
आपसे क्या चाहते हैं उस हिसाब से मत चलना।
16:39
उदाहरण अगर आप दुखी मैरिज में हो लेकिन
16:42
सोसाइटी के डर से कंटिन्यू कर रहे हो आप
16:45
ऑथेंटिक यानी रियल नहीं हो। अगर आप सच में
16:49
अपनी जॉय खुशी को चुनते हो भले सोसाइटी जज
16:53
करे यह है ऑथेंटिक बोले तो रियल लिविंग
16:56
है। आगे बात करते हैं ट्रुथ बिय्ड बिलीव
17:01
सिस्टम्स। ओशो कहते हैं कि सच किसी
17:03
रिलीजन, फिलॉसफी या स्क्रिप्चर में नहीं
17:06
है। सच आपके भीतर है। प्रॉब्लम यह है कि
17:09
हम हमेशा बोरोड ट्रुथ्स एक्सेप्ट कर लेते
17:12
हैं। क्रिश्चियंस के बाइबल का ट्रुथ मानते
17:15
हैं। हिंदूस गीता का ट्रुथ मानते हैं।
17:17
मुस्लिम्स कुरान का ट्रुथ मानते हैं।
17:19
लेकिन यह सब दूसरों के अनुभव है। ओशो कहते
17:22
हैं ट्रुथ कैन नॉट बी बोरोड। यू हैव टू
17:25
डिस्कवर इट विद इन योरसेल्फ। मतलब सच आप
17:29
कहीं से उधार नहीं ले सकते। कहीं से मांग
17:31
नहीं सकते। इसे आपको अपने अंदर ही पाना
17:35
है। अंदर ही डिस्कवर करना है। मेडिटेशन जो
17:38
है वह ट्रुथ तक पहुंचने का तरीका है
17:41
क्योंकि यह आपको आपके सेंटर तक ले जाती
17:44
है। आगे बात करते हैं ब्लिस। द नेचुरल
17:48
स्टेट के बारे में। ओशो कहते हैं कि जब आप
17:51
माइंड से बिय्ड चले जाते हैं तो ब्लिस
17:54
ऑटोमेटिक अराइज होता है। ब्लिस कोई
17:57
अचीवमेंट नहीं। यह आपका नेचुरल स्टेट है।
18:00
अभी आप दुखी हैं क्योंकि आप बोरोड
18:02
आइडेंटिटीज में जी रहे हैं। जैसे ही मास्क
18:05
गिरते हैं, आप देखेंगे ब्लिस पहले से
18:08
मौजूद है। लव पहले से मौजूद है। साइलेंस
18:11
पहले से मौजूद है। ब्लिस इज नॉट समथिंग टू
18:14
बी अचीव्ड। इट इज समथिंग टू बी रिमेंबर्ड।
18:18
आगे बात करते हैं द मास्टर एंड द डिसाइपल।
18:22
ओशो यह भी बताते हैं कि जर्नी में मास्टर
18:25
और डिसाइपल का रिलेशनशिप महत्वपूर्ण है
18:28
जिसे हम गुरु और शिष्य का रिलेशनशिप भी
18:30
कहते हैं। मास्टर कोई अथॉरिटी फिगर नहीं
18:33
बल्कि एक मिरर है, आईना है। डिसाइपल
18:36
मास्टर की पर्सनालिटी कॉपी नहीं करता
18:39
बल्कि उसकी प्रेजेंस में अपना सेल्फ
18:41
डिस्कवर करता है। अ ट्रू मास्टर डस नॉट
18:44
गिव यू डॉक्ट्रिंस। ही गिव्स यू टूल्स टू
18:47
डिस्कवर योरसेल्फ। प्रैक्टिकल इनसाइट। अगर
18:50
आप किसी से इंस्पायर्ड होकर चेंज करते
18:53
हैं, लेकिन वह चेंज बोरोड है, तो वह
18:56
सुपरफिशियल होगा। लेकिन अगर आप मास्टर की
19:00
प्रेजेंस में अपनी चेतना में जागते हैं,
19:02
वही रियल ट्रांसफॉर्मेशन है। आगे बात करते
19:06
हैं सेलिब्रेशन द वे ऑफ़ लाइफ। ओशो कहते
19:09
हैं कि जीवन को सीरियसली लेने की जरूरत
19:11
नहीं। लाइफ को एक सेलिब्रेशन की तरह जीना
19:14
चाहिए। सीरियसनेस ईगो की डिसीज है।
19:17
प्लेफुलनेस स्पिरिचुअलिटी की फ्रेगेंस है।
19:20
लाइफ इज नॉट अ प्रॉब्लम टू बी सॉल्वड।
19:23
लाइफ इज अ मिस्ट्री टू बी लिव्ड एंड
19:25
सेलिब्रेटेड। एग्जांपल डांस, म्यूजिक,
19:28
लाफ्टर। यह सब मेडिटेशन के फॉर्म्स हो
19:31
सकते हैं। अगर आप इन्हें अवेयरनेस से
19:33
करें।
19:34
ओशो कहते हैं कि साइकोलॉजी की सीमा माइंड
19:37
तक है। लेकिन बियों्ड साइकोलॉजी की दुनिया
19:40
साइलेंस, मेडिटेशन और ट्रुथ की है।
19:42
साइलेंस ही असली भाषा है। मेडिटेशन कोई
19:45
एफर्ट नहीं बल्कि रिलैक्सेशन है। फ्रीडम
19:48
ही स्पिरिचुअलिटी का कोर है। ऑथेंटिक
19:51
लिविंग ही करेज है। ट्रुथ फॉरवर्ड नहीं
19:54
एक्सपेरिटियल
19:56
है। ब्लेस आपका नेचुरल स्टेट है जिसे याद
20:00
करना है। मास्टर डिसाइपल को खुद से
20:03
इंट्रोड्यूस कराता है। लाइफ को सीरियसनेस
20:05
नहीं सेलिब्रेशन चाहिए। बिय्ड साइकोलॉजी
20:09
का तीसरा स्टेप यही है साइलेंस, फ्रीडम और
20:13
ऑथेंटिसिटी में उतरना।
20:17
अगले सेक्शन में हम बात करेंगे द अल्टीमेट
20:21
जर्नी। ओशो कहते हैं कि जिंदगी का अंतिम
20:25
लक्ष्य सिर्फ सर्वाइवल या सक्सेस नहीं है।
20:28
असल उद्देश्य है सेल्फ रियलाइजेशन यानी
20:32
खुद को पूरी तरह जानना। इस पार्ट में ओशो
20:35
एनलाइटमेंट, डेथ, रिब्थ और अल्टीमेट
20:39
लिबरेशन के बारे में बात करते हैं। पहले
20:42
बात करते हैं व्हाट इज एनलाइटमेंट? ओशो
20:44
कहते हैं एनलाइटमेंट इज द मोमेंट यू
20:46
रियलाइज यू वर नेवर द ईगो। यू वर ऑलवेज द
20:50
कॉन्शियसनेस।
20:51
ज्ञानोदय वह क्षण है जब आप समझ जाते हैं
20:54
कि आप कभी ईगो नहीं थे। आप हमेशा से चेतना
20:58
ही थे। एनलाइटमेंट कोई एक्स्ट्राऑर्डिनरी
21:00
अचीवमेंट नहीं है। बल्कि यह आपकी असली
21:04
नेचर है। ईगो मिटते ही यह ट्रुथ अपने आप
21:08
रिवील हो जाता है। जैसे बादल हटते ही सूरज
21:12
अपने आप चमकता है। उसी तरह ईगो हटते ही
21:15
आपकी कॉन्शियसनेस चमक उठती है। आगे बात
21:19
करते हैं द इल्ल्यूजन ऑफ डेथ। ओशो कहते
21:21
हैं डेथ इज नॉट द एंड इट इज ओनली अ चेंज
21:25
ऑफ क्लोथ्स फॉर द सोल। मृत्यु अंत नहीं
21:28
है। यह आत्मा के लिए केवल कपड़े बदलने
21:31
जैसा है। डेथ से ईगो डरती है। लेकिन
21:34
कॉन्शियसनेस को कोई डर नहीं होता। डेथ
21:38
दरअसल एक ट्रांजिशन है, एक दुर्व्य है
21:41
जिससे होकर आप नई अवस्था में प्रवेश करते
21:43
हैं। अगर इंसान मेडिटेशन में डेथ को
21:47
कॉन्शियसली एक्सपीरियंस कर ले तो उसे डेथ
21:51
कोई भयावह नहीं लगती। आगे बात करते हैं
21:54
रिब्थ एंड कंटिन्यूटी ऑफ़ एनर्जी। ओशो कहते
21:58
हैं कि कॉन्शियसनेस एनर्जी है और एनर्जी
22:01
कभी नष्ट नहीं होती। शरीर बदल जाता है
22:04
लेकिन एनर्जी नई फॉर्म में जारी रहती है।
22:07
ओशो कहते हैं यू डोंट हैव अ सोल। यू आर द
22:10
सोल। आपके पास आत्मा नहीं है। आप स्वयं
22:13
आत्मा है। इसका मतलब जब शरीर गिरता है
22:17
आत्मा बस एक नया व्हीकल चुन लेती है।
22:21
अगले सेक्शन में बात करते हैं बिय्ड लाइफ
22:24
एंड डेथ। व्हेन यू नो योरसेल्फ, यू गो
22:27
बिय्ड लाइफ एंड डेथ। जब आप खुद को जान
22:31
जाते हैं तो आप जीवन और मृत्यु से परे हो
22:33
जाते हैं। सेल्फ रियलाइजेशन का मतलब है कि
22:36
आप समझते हैं आप ना जन्म लेते हैं ना मरते
22:39
हैं। आप एटरर्नल एनर्जी है जो हमेशा से है
22:43
और हमेशा रहेगी। यह समझ ही अल्टीमेट
22:47
लिबरेशन है। अगले चरण में बात करते हैं। द
22:50
रोल ऑफ मेडिटेशन इन लिबरेशन। ओशो बार-बार
22:54
कहते हैं कि लिबरेशन केवल मेडिटेशन से
22:57
संभव है। ओशो कहते हैं मेडिटेशन इज द आर्ट
23:00
ऑफ डाइंग कॉन्शियसली। ध्यान सवचेतन
23:04
रूप से मरने की कला है। मेडिटेशन आपको हर
23:09
पल ईगो से मरना सिखाती है। जैसे-जैसे ईगो
23:14
डिसॉल्व होती है। आप डेथ के लिए भी तैयार
23:16
होते हो। अंततः आप देखते हैं आप कभी मरे
23:20
ही नहीं थे।
23:22
आगे बात करते हैं। एनलाइटेड
23:25
लिविंग लिव विदाउट फियर। एनलाइटमेंट का
23:29
अर्थ है बिना डर, बिना ईगो और बिना फॉल्स
23:33
मास्क के जीना। ओशु कहते हैं। द लाइटिंग
23:36
पर्सन लव्स इन टोटल फ्रीडम, टोटल लव एंड
23:38
टोटल अवेयरनेस। प्रबुद्ध व्यक्ति पूर्ण
23:41
स्वतंत्रता, पूर्ण प्रेम और पूर्ण
23:44
जागरूकता में जीता है। ऐसे व्यक्ति के लिए
23:47
लाइफ सेलिब्रेशन बन जाती है। वह हर क्षण
23:50
को डिवाइन मानता है।
23:53
नेक्स्ट सेक्शन में बात करेंगे द मास्टर्स
23:56
विज़ फॉर ह्यूमैनिटी। ओशो का विज़ है कि
23:59
पूरा मानव समाज इस ट्रांसफॉर्मेशन से
24:02
गुजरे। ओशो कहते हैं अ न्यू मैन इज नीडेड
24:06
नॉट कंट्रोल बाय फियर नॉट बाउंड बाय
24:09
सोसाइटी बट फ्री लविंग एंड मेडिटेटिव मतलब
24:13
हम एक नए मनुष्य की आवश्यकता है जो डर से
24:17
नियंत्रित ना हो समाज से बंधा ना हो बल्कि
24:21
स्वतंत्र प्रेमपूर्ण और ध्यान मग्न हो ओशो
24:26
चाहते हैं कि हर इंसान खुद को जाने और एक
24:28
नया ह्यूमैनिटी बने जो ब्लिसफुल और
24:32
कंपैशनेट हो।
24:34
आगे बात करते हैं सेलिब्रेशन ऑफ डेथ। डेथ
24:38
को ओशो एंड नहीं बल्कि एक फेस्टिवल मानते
24:41
हैं। ओशो कहते हैं डाई द वे अ ट्री
24:43
ड्रॉप्स इट्स स्लीव्स इन ऑटम साइलेंटली
24:46
ब्यूटीफुली विदाउट फियर। मरो वैसे ही जैसे
24:50
एक पेड़ पतझड़ में अपने पत्ते गिराता है
24:52
शांति से, सुंदरता से बिना डर के। जब
24:55
इंसान कॉन्शियस डेथ स्वीकार करता है तो
24:59
डेथ भी एक सेलिब्रेशन बन जाती है। ओशो
25:02
कहते हैं कि साइकोलॉजी की सीमा माइंड तक
25:05
है लेकिन बियों्ड साइकोलॉजी का सफर हमें
25:09
एटरर्निटी लिबरेशन और ब्लिस तक ले जाता
25:12
है। एनलाइटमेंट असली पहचान है। आप
25:16
कॉन्शियसनेस है। ईगो नहीं डेथ अंत नहीं है
25:19
बल्कि एक नया डोरवे है। रिब्थ एनर्जी की
25:23
कंटिन्यूटी है। सेल्फ रियलाइजेशन से आप
25:26
लाइफ और डेथ दोनों से परे हो जाते हैं।
25:28
मेडिटेशन वह कला है जो आपको हर पल ईगो से
25:32
मरना और कॉन्शियसनेस में जीना सिखाती है।
25:35
एनलाइटमेंट लिविंग में फ्रीडम, लव और
25:38
अवेयरनेस होती है। ओशो का विज़न है नया
25:40
मनुष्य जो ऑथेंटिक और मेडिटेटिव हो। डेथ
25:44
को भी सेलिब्रेशन की तरह एक्सेप्ट करना
25:46
अल्टीमेट विडम है। बियों्ड साइकोलॉजी का
25:50
अंतिम स्टेप यही है। अपने भीतर की
25:52
कॉन्शियसनेस को पहचानना और जीवन को
25:56
सेलिब्रेशन की तरह जीना। धन्यवाद।