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सोचो जरा अगर जिंदगी एक वीडियो गेम होती और हर लेवल पर आपको एक नई पावर मिलती। अब
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इमेजिन करो एक ऐसी किताब जो आपको जिंदगी के लेवल्स क्रॉस करना सिखाए और अपना
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माइंडसेट एकदम हाई लेवल पर ले जाए। दोस्तों आज हम बात करते हैं एक ऐसी किताब
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की जो यह क्लेम करती है। 33 डिग्री नॉलेज बाय क्लार्क सी विलियम्स। बिलीव मी यह
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सिर्फ एक किताब नहीं है। यह एक मैनुअल है। एक गाइड जो आपको अपने दिमाग रिप्रोग्राम
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करना सिखाती है। अब ऑनेस्टली बताओ कितनी बार आपने सोचा है कि यार मेरी लाइफ में
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कुछ बड़ा करना है। मुझे कुछ बड़ा करना है। फिर बार-बार दिन भर inा स्क्रोल, YouTube
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शॉट्स और दोस्त की शादी की पिक्स पे कमेंट में निकल जाता है। ऑथर विलियम्स कहते हैं
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योर ब्रेक थ्रू लाइ वन माइंडसेट शिफ्ट अवे। आपकी सफलता सिर्फ एक सोच बदलाव की
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दूरी पर है। सुनने में सिंपल लगता है पर इमेजिन करो। एक छोटी सी सोच बदलने से आपकी
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पूरी डायरेक्शन बदल सकती है। जैसे एक छोटा सा स्टीरिंग व्हील टर्न करने से पूरी
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गाड़ी की डायरेक्शन बदल जाती है। विलियम्स का मेन फंडा है सक्सेस और फेलियर का फर्क
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स्किल्स से कम और माइंडसेट से ज्यादा आता है। मतलब अगर आपके पास 10 डिग्रीज भी है
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पर सोच नेगेटिव है तो आप आगे नहीं बढ़ सकते लेकिन अगर सोच बदल जाए तो बिना
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डिग्री के भी आप एक एंपायर बना सकते हो। एक सिंपल एग्जांपल लो Reliance के फाउंडर
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धीरूभाई मनी उनके पास ना हार्व की हार्व की एमबीए थी ना कोई बड़ा इन्वेस्टमेंट सिर्फ माइंडसेट था। सोच बड़ी रखो और मौके
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पकड़ो और देख लो रिजल्ट। मान लो रिया नाम की एक लड़की है चंडीगढ़
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से। उसने इंजीनियरिंग करी पर कोडिंग पसंद नहीं थी। हर रोज सोचती थी मुझे कुछ और
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करना है। पर सोसाइटी बोलती है सिक्योर जॉब ले लो। फिर एक दिन उसने अपनी सोच बदली।
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अगर कोडिंग बोरिंग लगती है तो उसे क्रिएटिव तरीके से यूज़ करो। उसने एक ऐप
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बनाया, स्टार्ट किया जो स्टूडेंट्स को हिंदी शब्द रूट्स सिखाता है। आज उसके पास
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हजारों डाउनलोड्स हैं। माइंडसेट शिफ्ट ने उसका करियर ही नहीं उसकी लाइफ भी बदल दी।
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अब बात करते हैं सबकॉन्शियस रिप्रोग्रामिंग। बुक के पहले कुछ डिग्रीज
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बेसिकली आपको यही समझाते हैं कि हम सब अपनी सबकॉन्शियस प्रोग्रामिंग के गुलाम
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होते हैं। मतलब बचपन से जो सुनते आए डॉक्टर बनो आईएएस बनो रिस्क मत लो वही
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हमारी दिमाग की डिफॉल्ट सेटिंग्स बन जाती है। रियल्स कहते हैं टू रिवायर टू रिवायर
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योर डेस्टिनी। फर्स्ट रिवायर योर माइंड। अपनी तकदीर बदलने के लिए पहले अपने दिमाग
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को बदलो। बात सिंपल है। अगर आप अपनी पुरानी प्रोग्रामिंग पे चलते रहोगे तो आप
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दूसरों की प्लेलिस्ट सुनोगे। लेकिन अगर आप अपना दिमाग रीग्राम कर लोगे तो आप अपनी
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खुद की रिमिक्स बना सकते हो। इसको ऐसे सोचो जैसे एक वीडियो गेम है कि
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फॉल्ट सेटिंग्स में आपके पास एक नॉर्मल गन है। पर जैसे ही आप चीट को डालते हो सडनली
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आपको अनलिमिटेड एमुनेशन, हेल्थ और एक नई शक्ति मिल जाती है। जिंदगी भी ऐसी ही है।
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डिफॉल्ट सेटिंग्स इज इक्वल टू सोसाइटी के बिलीफ्स। चीट कोड इज इक्वल टू नई सोच। और
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चीट कोड डालना सीखना ही है 33 डिग्री नॉलेज।
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माइंडसेट को कोड करो और दुनिया की गेम हैक हो जाएगी। आज हर कोई बोलता है अप स्किल
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करो, एआई सीखो, क्रिप्टो इन्वेस्ट करो, YouTube पे आओ। सब सही है। पर याद रखो यह
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सब तब काम करते हैं जब आप खुद पर बिलीव करते हो। अगर अंदर से सोचना वही पुरानी
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है, मैं नहीं कर सकता तो यह सब स्किल्स भी बेकार है। विलियम्स बोलते हैं कि पहले सोच
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बदलो फिर दुनिया बदलेगी। एक लड़का था बुड्स फेल हुआ। सोसाइटी ने उसे लूजर बोल
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दिया। उसने सोचा शायद मैं सच में बेकार हो। पर फिर उसने एक छोटी सी सोच बदली।
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फेलियर फीडबैक है, पनिशमेंट नहीं। उसने ट्यूटरिंग स्टार्ट की। फेल हुए स्टूडेंट्स
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को पढ़ाने लगा। आज वो एक कम्युनिटी चला रहा है। जहां हजारों स्टूडेंट्स पास हो
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रहे हैं। सोच बदली, जिंदगी बदल गई। तो दोस्तों, यह तो बस शुरुआत है अवेयरनेस और
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माइंडसेट की। अभी असली मैजिक बाकी है। अगले पार्ट में हम बात करेंगे उन टूल्स,
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उन रिचुअल्स और उन रूटीनंस की जो आपके रोज-रोज़ प्रोग्राम करेंगे। आपको रीोग्राम करेंगे।
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क्योंकि सोच बदलना एक बार का काम नहीं है। यह रोज का अभ्यास है। रेडी हो? तो मिलते
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हैं पार्ट टू में जहां हम खोलेंगे किताब का अगला सीक्रेट। डेली माइंड और रिवायरिंग
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रिचुअल्स। स्टे ट्यूंड क्योंकि असली गेम तो अब शुरू होता है। दोस्तों सोचो अगर
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आपके पास एक ऐसा रिमोट हो जो आपकी आदतों को आपके मूड को और आपकी पूरी लाइफ की दिशा
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को कंट्रोल कर सके। इमेजिन करो कि एक बटन दबाते ही आपके नेगेटिव सोचे पॉजिटिव बन
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जाए। आलस डिसिप्लिन में बदल जाए और डर कॉन्फिडेंस में बदल जाए। सुनने में जादू
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जैसा लगता है पर नहीं। यही है 33 डिग्री नॉलेज का अगला सीक्रेट। रिचुअल्स और
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रूटीनंस जो आपके दिमाग को रोज रिप्रोग्राम करते हैं। पहली बात करते हैं व्हाई
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हैबिट्स मैटर मोर देन मोटिवेशन। ऑथर विलियम्स एक बहुत पावरफुल बात कहते हैं। मोटिवेशन इज टेंपरेरी बट हैबिट्स आर
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परमानेंट। प्रेरणा थोड़ी देर टिकती है लेकिन आदतें हमेशा रहती है। सोचो जरा।
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कितनी बार आपने सोचा है? कल से मैं एक्सरसाइज करूंगा। कल से पढ़ाई शुरू
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करूंगा। कल से फोन कम यूज़ करूंगा। उस टाइम मोटिवेशन हाई था। पर दो दिन में सब
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खत्म। क्यों? क्योंकि हैबिट नहीं बनी। इंडियन यूथ का सबसे बड़ा प्रॉब्लम यही है। हम मोटिवेशन वीडियोस बिंज करते हैं पर
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हैबिट बिल्डिंग पर फोकस नहीं करते। रिजल्ट दो दिन की आग और फिर वही पुराना पैटर्न।
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हैबिट इज प्रोग्रामिंग सबकॉन्शियस का कोड। विलियम्स बोलते हैं हमारा दिमाग एक सुपर
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कंप्यूटर है। और हमारी हैबिट्स उसके अंदर डाले गए कोड्स। अगर हैबिट Netflix बिंच है
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तो कोड वही चलेगा। अगर हैबिट अर्ली मॉर्निंग रन है तो कोड वही चलेगा। सिंपल
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लॉजिक जिस कोड को रोज चलाओगे वही लाइफ का आउटपट बनेगा।
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एक एनालॉजी लो। मान लो आपके पास एक स्मार्टफोन है। उसमें 50 एप्स इंस्टॉल है।
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अगर आप रोज सिर्फ Instagram और YouTube श्स चला रहे हो तो आउटपुट होगा
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ओवरथिंकिंग, प्रोकस्टिनेशन और फोमो। ओवरथिंकिंग मतलब बहुत ज्यादा सोचना। प्रोक्रेस्टिनेशन मतलब चीजों को डिले
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पोस्टपोन कर करते रहना और फोमो जो तो आज की डेट में बहुत ही पॉपुलर है फियर ऑफ मिसिंग आउट Instagram देख रहे हो दोस्त
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घूमने गया है आप नहीं घूमने जा रहे तो आपको वो फियर ऑफ मिसिंग आउट हो जाएगा लेकिन अगर आप रोज नेशन Google कैलेंडर और
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वर्कआउट ट्रैकर चलाओगे तो आउटपुट होगा प्रोडक्टिविटी और फिटनेस सेम गेम रंस इन
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ब्रेन हमारा ब्रेन भी हमारे स्मार्टफोन की तरह ही काम करता है।
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अब बात करते हैं थ्री रिचुअल्स दैट रिप्रोग्राम योर ब्रेन। अब सवाल है कैसे
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हैबिट बिल्ड करें? वीएम्स ने कुछ रिचुअल्स बताए जो सिंपल है पर अगर आपने रोज अप्लाई
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किए तो लिटरली आपकी पूरी लाइफ चेंज हो सकती है। पहला मॉर्निंग माइंडसेट रिचुअल।
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सुबह का रिसेट बटन। सुबह के सिर्फ 20 मिनट्स को विलियम्स गोल्डन विंडो बोलते
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हैं। यह टाइम एकदम फ्रेश होता है। सबकॉन्शियस एकदम ओपन होता है। अगर सुबह ही
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आप नेगेटिव न्यूज़, रैंडम रील्स या WhatsApp फॉरवर्ड्स देख लोगे तो पूरा दिन
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उसी पैटर्न पे चलेगा। इसीलिए उन्होंने एक रिचुअल दिया। उतने ही 5 मिनट मेडिटेशन। बस
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श्वास लो और छोड़ो। दिमाग को शांत करो। इस चीज के लिए मैं आपको एक वीडियो रिकमेंड
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करूंगा। वह डॉ सिद्धेरियर का है। YouTube पे आपको टाइप करना है रेजोनेंस फ्रीक्वेंसी ब्रीथिंग। 5 मिनट उस वीडियो
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को फॉलो करो। उसके हिसाब से ब्रीथिंग एक्सरसाइज करो। एंड आई एम गारंटिंग यू। यू विल सी लॉट ऑफ़ चेंज इन योरसेल्फ इन 10
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डेज। सेकंड रिचुअल है मॉर्निंग माइंडसेट में।
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उसके बाद आपको लिखना है तीन चीजें जिनके लिए ग्रेटफुल हो। इसको एक तरह का ग्रेटट्यूड जनरल भी बोलते हैं। इसमें आप
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शुक्रगुजारी करते हो भगवान से कि तीन चीजों की और एक पॉजिटिव अफमेशन बोलो। जैसे
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आई एम इन कंट्रोल ऑफ माय लाइफ आई क्रिएट अपोरर्चुनिटीज। मेरी जिंदगी मेरे कंट्रोल में है और मैं नए-नए अवसर पैदा कर रहा
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हूं। सोचो एक इंडियन स्टूडेंट जो कैट या यूपीएससी की तैयारी कर रहा है। अगर वह
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सुबह उठे उठते ही न्यूज़ चैनल्स पे नेगेटिविटी देखेगा। अनइंप्लॉयमेंट बढ़ रही
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है, पेपर टफ है तो पूरा दिन डीमोटिवेशन। लेकिन अगर वही स्टूडेंट ग्रेटट्यूड लिखे
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आई हैव हेल्थ, आई हैव बुक्स, आई हैव अपोरर्चुनिटी तो उसका दिमाग एकदम एनर्जेटिक होगा। सेकंड माइक्रोविंस
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रिचुअल। छोटी जीतें बड़ी बन बनाती हैं। ऑथर का अगला फंडा है रोज छोटी-छोटी जीतें
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क्रिएट करो। स्मॉल विंस क्रिएट द मोमेंटम फॉर बिग विक्ट्रीज। छोटी जीतते ही बड़ी सफलताओं की रफ्तार बनाती है। जैसे एक
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लड़का जिम ज्वॉइ करता है और सोचता है मैं सिक्स पैक बनाऊंगा। अगर वो रोज बस यह
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सोचता रहेगा तो हिम्मत टूट जाएगी। पर अगर वो रोज बस यह गोल लिखे आज 20 पुश अप्स
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करने हैं तो उसे रोज सक्सेस का फील आएगा और वही छोटी-छोटी जीतें उसको सिक्स पैक तक
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ले जाएंगी। एक 22 ईयर ओल्ड लड़का दिल्ली से जो
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यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। उसका टारगेट था 1000 पेज सिलेबस कंप्लीट करना।
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सोच से ही पैनिकिक। फिर उसने अपनी सोच बदली। रोज सुबह 10 पेजेस पढ़ने का टारगेट
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रखा। विद इन फोर मंथ्स सिलेबस कंप्लीट हो गया। यह है माइक्रोविन का पावर। थर्ड
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इवनिंग रिफ्लेक्शन रिचुअल। दिन का रिपोर्ट कार्ड। सुबह की तरह रात भी बहुत क्रूशियल है। विलियम्स बोलते हैं द वे यू एंड योर
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डे प्रोग्राम्स आर स्टार्ट ऑफ योर नेक्स्ट डे। जैसे आप अपना दिन खत्म करते हो वैसे ही अगला दिन शुरू होता है। रात को सोने से
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पहले अपना डेली रिफ्लेक्शन करो। आज मैं किस एक चीज में बैठा हुआ? आज की बिगेस्ट
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डिस्ट्रैक्शन क्या थी? कल के लिए एक छोटा सा लक्ष्य क्या है? एक रिलेटेबल एग्जांपल
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लूं। एक लड़की जो अपनी स्किन केयर रूटीन स्टार्ट करती है। अगर वो रोज रात को
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रिफ्लेक्ट करे। आज मैंने जंक कम खाया या आज मैंने 10 मिनट वॉक किया तो धीरे-धीरे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ेगा। रिफ्लेक्शन इज
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इक्वल टू ग्रोथ का जीपीएस। विराट कोहली को ही ले लो। जब उनका करियर
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की शुरुआत हुई तो वो एक नॉर्मल टैलेंटेड लड़के की तरह खेलते थे। पर फिर उन्होंने अपनी रीच चेंज की। जंक फूड शोर दिया।
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फिटनेस को लाइफस्टाइल बना लिया। डेली डिसिप्लिन ने उन्हें वर्ल्ड का बेस्ट बैट्समैन बना दिया। यही है विलियम्स का
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पॉइंट। टैलेंट से ज्यादा पावर रिचुअल्स में होता है। आगे बात करते हैं हाउ टू
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स्टिक टू रिचुअल्स। अब एक बड़ा सवाल रिचुअल्स बन तो जाती हैं पर टिकती कैसे
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हैं? खासकर हम जैसे यूथ के लिए जहां डिस्ट्रैक्शंस हर जगह हैं। Netflix, inा
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दोस्तों की पार्टीज शादी सीजन विलियम्स कहते हैं। पहला मेक रिचुअल्स विज़िबल। अपनी
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वॉल पे लिखो। फोन पेपर वाल बनाओ। रिमाइंडर लगाओ। सेकंड स्टार्ट रेडिकुलसली स्मॉल।
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छोटे लेवल से स्टार्ट करो। दो पुश अप्स। पांच मिनट्स मेडिटेशन। एक पेज रिटिक।
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तीसरा सेलिब्रेट विंस। छोटी सक्सेस पर खुद को रिवॉर्ड करो। लाइक एक कप कॉफी या 10
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मिनट म्यूजिक। एक चंडीगढ़ का लड़का था जो रोज सोचा करता था मैं एक बुक पढूंगा पर
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300 पेज का बुक देखते ही हिम्मत टूट जाती है। फिर उसने रूल बनाया रोज बस एक पेज
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पढ़ना है। एक पेज से पांच पेज हुए, पांच पेज से 20 पेज हुए। विद इन वन ईयर उसने 12
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किताबें खत्म कर दी। छोटी शुरुआत इज इक्वल टू बड़ा रिजल्ट। हैबिट्स आर द ब्रिक्स और उनसे बनती है
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आपकी पूरी जिंदगी की इमारत। अगर ब्रिक ही कमजोर हो रखी तो बिल्डिंग टॉल कभी नहीं
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होगी। इंडियन यूथ का प्रॉब्लम एक और है। सोसाइटी की एक्सपेक्टेशंस हर कोई बोलता है बेटा
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आईएएस बनो। बेटा 9 टू फाइव सिक्योर जॉब लो, शादी कर लो। यह सब एक्सटर्नल रिचुअल्स
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हमें फोर्स करते हैं। लेकिन विलियम्स बोलते हैं अपनी लाइफ के रिचुअल्स खुद चुनो। उदाहरण के तौर पर एक लड़की बोर में
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जॉब करती थी आईटी फर्म में पेरेंट्स चाहते थे शादी कर लो पर उसने अपना रिचुअल बनाया रोज एक घंटे पेंटिंग करना 2 साल में उसने
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अपना Instagram आर्ट पेज बना लिया और आज वो अपनी आर्ट सेल करती है यूएस कैंस को
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अगर उसने सोसाइटी के रिचुअल्स फॉलो किए होते तो शायद वो खुद को खो देती
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साइंस बिहाइंड रिचुअल्स व्हाई इट वर्क्स विलियम्स साइंटिफिकली एक्सप्लेन करते हैं
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जब आप एक रिचुअल रिपीट करते हो तो ब्रेन में न्यूरल पाथवेज स्ट्रांग होते हैं। जैसे एक खेत में बार-बार चलने से एक
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पगडंडी बन जाती है वैसे ही दिमाग में बार-बार सेम काम करने से एक ऑटोमेटिक रोड बन जाती है। फिर वो काम एफर्टलेस लगता है।
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इसीलिए जब एक बार रिचुअल सेट हो गया तो उसको तोड़ना मुश्किल हो जाता है। अच्छी
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हैबिट इक्वल टू ऑटोमेटिक सक्सेस। बुरी हैबिट इक्वल टू ऑटोमेटिक फेलियर। अब मैं
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आपको एक एक्शन प्लान देना चाहता हूं। हो तब आपके लिए एक छोटा चैलेंज। पहला कल सुबह उठकर ग्रेटट्यूड लिस्ट लिखो। दूसरा दिन के
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बीच एक माइक्रोविन नोट करो। तीसरा रात को अपना रिफ्लेक्शन लिखो। बस सात दिन में ही
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आप नोटिस करोगे कि आपकी एनर्जी और क्लेरिटी का लेवल चेंज हो गया है। विलियम्स कहते हैं रिचुअल्स आर द
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स्टीयरिंग व्हील ऑफ डेस्टिनी। रिचुअल ही तकदीर का स्टीयरिंग है। मतलब अगर आपने गलत
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रिचुअल्स पकड़ लिए तो उससे क्या होगा? तो गाड़ी गलत रास्ते पर चलेगी। अगर सही
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रिचुअल्स पकड़ लिए तो गाड़ी सीधे अपनी मंजिल तक जाएगी।
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तो दोस्तों, अभी हमने सीखा कि कैसे रिचुअल्स और हैबिट्स दिमाग को रिप्रोग्राम
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करते हैं। लेकिन एक सवाल अभी बाकी है। रिचुअल्स तो बना लिए पर उनसे रिजल्ट्स
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कैसे निकले? अगले पार्ट में हम बात करेंगे एक्शन और एग्जीक्यूशन की पावर। क्योंकि
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सोचना और प्लान बनाना एक चीज है पर एक्चुअली काम करना और उसे लगातार निभाना ही असली सफलता देती है। रेडी रहो क्योंकि
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अब हम आपको बताएंगे फ्रॉम थॉट टू एक्शन द वेरियर्स पाथ। अब
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सोचना आसान है। सपने देखना और भी आसान है। पर उन्हें पूरा करना वहां सब फंस जाते
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हैं। सच बताओ कितनी बार आपने सोचा है मैं एक YouTube चैनल बनाऊंगा। मैं एक
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स्टार्टअप शुरू करूंगा या मैं वेट लॉस करूंगा। पर दो दिन के अंदर एंथूजियाज्म
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हवा हो गया। क्यों? क्योंकि सोचना और प्लान बनाना इजी है। बट एग्जीक्यूशन ही
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असली गेम चेंजर है। क्लार्क विलियम्स एक दमदार लाइन बोलते हैं। ड्रीम्स आर फ्री बट
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एग्जीक्यूशन इज प्राइसलेस। सपने फ्री होते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना अमूल्य है।
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और यही है 33 डिग्री नॉलेज का अगला सीक्रेट एक्शन का पाथ।
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पहले बात करेंगे व्हाई एग्जीक्यूशन बीट्स आइडियाज? एक सिंपल सवाल। दुनिया में कितने
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लोग हैं जो एकदम जबरदस्त आइडियाज लेके घूमते हैं? मिलियंस। पर कितने लोग हैं जो
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उन आइडियाज को रियलिटी में कन्वर्ट करते हैं? हार्डली 1%।
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आइडियाज एक सीड होते हैं। पर एक्शन ही उन्हें पेड़ बनाता है। सीड को मिट्टी में
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डालना, पानी डालना, धूप देना यही तो एग्जीक्यूशन है। अगर आपने सिर्फ बीज पैकेट
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में रखा तो कभी भी जंगल नहीं उगने वाला। एक लड़का था राहुल 23 साल का गुड़गांव से।
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उसने सोचा था एक फूड डिलीवरी ऐप बनाने का जो सिर्फ हेल्दी ऑप्शंस दे। आईडिया
17:03
जबरदस्त था। फिर क्या हुआ? सिर्फ नोटबुक में लिखा और 6 महीने बाद स्विगी ने वही
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ऑप्शन ल्च कर दिया। मोरल सोचना सब करते हैं पर जो पहले एक्शन लेता है वही विनर
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बनता है। अब बात करेंगे एग्जीक्यूशन का फार्मूला व्हिच इज अ 3D अप्रोच। विलियम्स
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एक पावरफुल फ्रेमवर्क देते हैं। मैं इसे बोलता हूं 3D फार्मूला। डिसाइड डू
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डिसिप्लिन। पहला डिसाइड स्पष्ट निर्णय लो। सबसे पहले क्लेरिटी विलियम्स कहते हैं
17:35
इनडिसीजन किल्स मोर ड्रीम्स देन फेलियर एवर विल। अस्पष्टता उतने सपनों को मार
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देती है जितना असफलता भी नहीं कर पाती। मतलब अगर आप कंफ्यूज ही रहेंगे करूं या ना
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करूं या बेटर है यह बेटर है या वो तो एनर्जी वहीं वेस्ट हो जाएगी।
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डिसीजन लो और कमिटमेंट करो। एक स्टूडेंट जो कैट और यूपीएससी दोनों का
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फॉर्म भर देता है। रिजल्ट किसी में भी 100% फोकस नहीं देता और दोनों फेल। अगर
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वही एक पर डिसाइड करता एक डिसीजन ना कि
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मैंने कैट करना है या यूपीएससी तो शायद क्लियर कर लेता। सेकंड डू शुरुआत। अभी
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करो। डिसीजन लेने के बाद सबसे बड़ा स्टेप है बस स्टार्ट कर दो। अक्सर यूथ वेट करते हैं।
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परफेक्ट टाइम परफेक्ट सिचुएशन विलजस बोलते हैं परफेक्ट टाइमिंग इज अ मिथ नाउ इज द
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ओनली टाइम यू ओन। सही समय नाम की कोई चीज नहीं होती। आपके
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पास सिर्फ अभी है। एक लड़की प्रिया ने सोचा था अपना फैशन Instagram पेज बनाने
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का। पर उसने वेट किया। जब मेरे पास डी इस एलआर आएगा जब मुझे अच्छी लाइटिंग मिलेगी
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रिजल्ट 2 साल निकल गए जबकि उसकी दोस्त ने नॉर्मल फोन कैमरा से स्टार्ट किया आज 1
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लाख फॉलोअर्स के साथ कोलैप्स कर रही है लेसन स्टार्ट नाउ परफेक्ट लेटर परफेक्शन आ
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जाएगी अब स्टार्ट करो तीसरा डिसिप्लिन लगातार निभाओ एग्जीक्यूशन
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एक बार का काम नहीं है यह रोज का काम है और यही पे सब फेल हो जाते हैं विलियम्स
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कहते है कंसिस्टेंसी द ब्रिज बिटवीन इंटेंशन एंड सक्सेस। लगातार प्रयास ही इरादे और सफलता के बीच की पुल है। एक जिम
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जॉइ करने वाले लड़के को देख लो पहले दिन फोटोशूट जैसा एंथूजियाज्म। दूसरे दिन भी
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आते हैं। तीसरे दिन बस 20% रह जाते हैं। दो हफ्ते बाद जिम खाली क्यों? डिसिप्लिन
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नहीं। एग्जीक्यूशन को विलियम्स एक आर्चर और एरो
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की तरह समझाते हैं। आईडिया एक एरो है मतलब तीर है। पर जब तक आर्चर धुनधर बो पे
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स्ट्रिंग खींच कर एरो को छोड़ता नहीं तब तक टारगेट हिट नहीं होगा। और एक बार एरो
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छोड़ दिया अब उसका रास्ता डिसिप्लिन तय करता है। हर रोज बो खींचो। हर रोज एरो
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छोड़ो तभी एक दिन बुल्जा ही मिलेगा। सबसे बड़ा दुश्मन एग्जीक्यूशन का है
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ओवरथिंकिंग। हमारी जनरेशन एकदम एक्सपर्ट है। इसमें एग्जांपल YouTube चैनल बनाऊंगा। अब ओवरथिंक स्टार्ट
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कौन सा निश कौन सा कैमरा? कौन सा एडिटिंग सॉफ्टवेयर? क्या लोग व्यूज करेंगे या नहीं
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करेंगे? रिजल्ट 6 महीने निकल गए और चैनल स्टार्ट ही नहीं हुआ। विलियस बोलते हैं ओवरथिंकिंग इज द आर्ट ऑफ क्रिएटिंग
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प्रॉब्लम्स दैट डोंट एक्सिस्ट। ज्यादा सोचना उन समस्याओं को जन्म देता है जो असल में होती ही नहीं। इंडियन नूथ के को यह
20:37
लाइन लिखकर रूम पर चिपका लेनी चाहिए। दोबारा बोलता हूं लाइन। ओवरथिंकिंग इज द
20:42
आर्ट ऑफ क्रिएटिंग प्रॉब्लम्स दैट डोंट एकिस्ट। विलियम प्रैक्टिकल टूल्स भी देते हैं जो
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एकदम काम आते हैं। पहला 2 मिनट रूल। अगर कोई काम 2 मिनट में हो सकता है अभी करो।
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WhatsApp रिप्लाई एक ईमेल, एक नोट बस कर दो। दूसरा पोमोडोर टेक्निक। इसमें क्या
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करते हैं? 25 मिनट फोकस प्लस 5 मिनट ब्रेक। स्टडी और काम के लिए परफेक्ट। इससे आपकी आईसाइट भी ठीक रहती है। आपको बैक
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प्रॉब्लम्स भी नहीं होती हैं। तीसरा अकाउंटेबिलिटी पार्टनर। अपने एक दोस्त
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चुनो जो रोज पूछे काम किया है या नहीं। जैसे एक जिम बडी। चौथा एक्शन जर्नल। रोज
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सुबह लिखो आज के तीन एक्शंस और रात को टिक करो। यह सिंपल हैक प्रोडक्टिविटी 200%
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बढ़ा देता है। संदीप महेश्वरी को सब जानते हैं। वो भी एक नॉर्मल लड़का था। आईडिया था
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लोगों को इंस्पायर करना है। अगर उन्होंने वेट किया होता परफेक्ट सेटअप, परफेक्ट स्टूडियो तो शायद आज वह संदीप महेश्वरी
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नहीं होते। उन्होंने एक स्मॉल हॉल में एक सिंपल कैमरा पे सेमिना शूट किया। बस
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स्टार्ट कर दी गई है। एग्जीक्यूशन ने उन्हें आज लाखों लोगों का मेंटोर बना दिया। अब बात करते हैं एग्जीक्यूशन वर्सेस
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परफेक्शन। यह याद रखो डन इज़ बेटर देन परफेक्ट। एक 80% कंप्लीट प्रोजेक्ट तो
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दुनिया में है वह एक 100% परफेक्ट प्रोजेक्ट से हजार गुना बेटर है जो सिर्फ दिमाग में है। एक और यूनियन एग्जांपल BJUS
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ऐप इनिशियली एकदम सिंपल था। नो फैंसी ग्राफिक्स, नो एi पर उन्होंने लॉन्च किया
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और फीडबैक से इंप्रूव किया। टुडे इट्स अ बिलियन डॉलर कंपनी। अगर वह परफेक्ट होने का वेट करते तो शायद आज एकिस्ट ही नहीं
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होता। सपना देखना एक आर्ट है। पर उसे पूरा करना एक वॉर है। और इस वॉर में जीतता वही
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है जो एक्शन करता है। विलियम्स बोलते हैं अ वॉरियर इज नॉट द वन हु विंस ऑल बैटल्स
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बट द वन हु कीप्स शोइंग अप। योद्धा वो नहीं है जो हर युद्ध जीतता है। योद्धा वो है जो हर बार मैदान में उतरता है। मतलब
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फेलियर आएगा। रिजेक्शन होगा, क्रिटिस्म मिलेगा। पर रोज जो एक्शन करता है वही असली
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वॉरियर है। अब आपके लिए एक चैलेंज। रोज सुबह एक क्लियर डिसीजन लो। आज का सबसे
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बड़ा काम क्या है? फिर उसको लिखो और 2 घंटे के अंदर स्टार्ट करो। अपने एक दोस्त
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बनाओ जो आपको रोज अकाउंटेबिलिटी दे। सिर्फ 21 दिन में आप देखोगे आपकी एग्जीक्यूशन पावर डबल हो जाएगी।
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यूरो साइंस बोलता है कि जब आप एक काम बार-बार करते हो तो ब्रेन डोपामिन रिलीज़ करता है। डोपामिन रिवॉर्ड का फील देता है
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और आप और एक्शन करते हो। मतलब एक्शन एक्शन को अट्रैक्ट करता है। इसीलिए पहला कदम
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सबसे इंपॉर्टेंट है। एक बार चल पड़े तो मोमेंटम खुद बनती है। तो दोस्तों पार्ट
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थ्री का सार यही है। सोचना आसान है। करना मुश्किल है। डिसीजन एक्शन और डिसिप्लिन ही
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सपनों को रियलिटी बनाते हैं। एग्जीक्यूशन इज मोरेंट देन आइडियाज।
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विलियम्स की एक और लाइन है। याद रखो। द ग्रेवयार्ड इज द रिचेस्ट प्लेस ऑन अर्थ बिकॉज़ इट इज फुल ऑफ आइडियाज दैट नेवर गॉट
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एक्सजीक्यूटेड। कब्रिस्तान धरती का सबसे अमीर जगह है क्योंकि वहां वह सारे आईडियाज
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दबे हैं जिन्हें कभी पूरा नहीं किया गया। आपने आईडिया कभी ग्रेवयार्ड तक जो आपके
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पास जो भी आईडिया है उसको ग्रेवयार्ड तक मत ले जाना। उसे दुनिया में लाओ। अभी हमने
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देखा कि एक्शन कैसे लेना है और एग्जीक्यूशन की पावर क्या होती है। लेकिन एक बड़ा सवाल अभी बाकी है। एग्जीक्यूशन के
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बाद सक्सेस को सस्टेन कैसे करें? मतलब अगर आपको सक्सेस मिल भी गया तो उसको खोए बिना
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कैसे मेंटेन करें और बड़ा कैसे बनाएं। पार्ट फोर में हम खोलेंगे किताब का सबसे
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गहरा सीक्रेट लीकसी और हायर पर्पस। यह वो लेवल है जहां बंदा सिर्फ अपने लिए नहीं
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बाकी बल्कि दुनिया के लिए जीना स्टार्ट करता है। रेडी हो तो पार्ट फोर में आगे चलते हैं। जहां लाइफ सर्वाइवल नहीं बल्कि
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कंट्रीब्यूशन बन जाती है। ओम
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सोचो एक दिन आप चले गए हां यह सुनकर थोड़ा डर लगता है ना लेकिन सच यही है हम सब एक
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दिन इस दुनिया से चले जाएंगे सवाल यह नहीं है कि हम जिए कितने साल? सवाल यह है कि
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पीछे छोड़कर क्या गए? क्लार्कवियम्स कहते हैं, द ट्रू मेजर ऑफ लाइफ इज नॉट इन
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ड्यूरेशन बट इन डोनेशन। जिंदगी का असली माप उसकी लंबाई से नहीं बल्कि उसमें दिए
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गए योगदान से होता है। और पार्ट फोर में हम बात करेंगे कंट्रीब्यूशन, लीडरशिप और
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उस अल्टीमेट 33 डिग्री माइंडसेट की जो इंसान को अमीर बना देती है।
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पहले बात करते हैं लिगसी। आप क्या छोड़कर जाएंगे? हर इंसान दो बार मरता है। एक बार
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जब उसकी सांस रुक जाती है और दूसरी बार जब उसका नाम कोई लेना बंद कर देता है। इलगसी
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वही है जो दूसरी मौत को देर से लाती है। सोच के देखो आज भी लोग स्वामी विवेकानंद,
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अब्दुल कलाम, भगवत सिंह ये स्टीव जॉब्स को याद करते हैं। क्यों? क्योंकि उन्होंने
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सिर्फ अपनी जिंदगी नहीं जी। उन्होंने दूसरों के लिए एक गिफ्ट छोड़ा। विलियम्स लिखते हैं प्लांट ट्रीज अंडर हुस शेड यू
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डू नॉट प्लान टू स ऐसे पेड़ लगाओ जिनकी छांव में बैठने का तुम्हारा इरादा नहीं है। मतलब ऐसी चीजें करो जिसका ज्यादा
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फायदा आपको ना मिले पर सोसाइटी को मिले। मान लो आप एक स्मॉल टाउन लड़के हो। कोडिंग
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आती है। आप एक ऐप बनाते हो जो सिर्फ आपके गांव के बच्चों को फ्री एजुकेशन देता है।
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हो सकता है इससे आप करोड़पति ना बनो। पर इमेजिन करो। 5 साल बाद वही बच्चे आईएएस,
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डॉक्टर्स, साइंटिस्ट बनते हैं। इनकी कामयाबी में आपका छोटा सा कंट्रीब्यूशन हमेशा जिंदा रहेगा। यही लेगसी है अपना
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सेल्फिश कंफर्ट छोड़कर दूसरों के लिए वैल्यू क्रिएट करना। पहले बात करते हैं
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लीडरशिप का असली मतलब क्या है? अब आते हैं लीडरशिप पर। आजकल Instagram पर हर दूसरा
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बंदा बोलता है, आई एम अ लीडर, आई एम एन इन्फ्लुएंसरर। पर सच यह है कि लीडरशिप फॉलोअर्स बटोरने का खेल नहीं है। विलियम्स
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कहते हैं अ लीडर इज नॉट वन हु हैस फॉलोअर्स बट वन हु क्रिएट्स मोर लीडर्स।
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लीडर वो नहीं जो फॉलोवरर्स बनाता है। लीडर वो है जो और लीडर्स बनाता है। सोचो अगर
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सिर्फ गांधी फॉलोवरर्स बनाते तो मूवमेंट खत्म हो जाता उनके जाने के बाद। लेकिन
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उन्होंने हर इंडियन के अंदर एक छोटा गांधी खड़ा कर दिया। यही वजह है कि फ्रीडम मिली।
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आगे बात करते हैं। लीडरशिप इज इक्वल टू रिस्पांसिबिलिटी प्लस विज़। लीडरशिप खुद दो
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मेन पिलर्स होते हैं। पहला रिस्पांसिबिलिटी यानी जिम्मेदारी। मतलब ब्लेम दूसरों पर डालना बंद करो। अगर कुछ
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गलत हो रहा है तो बोलो आई विल फिक्स इट। दूसरा विज़ दृष्टि। मतलब सिर्फ आज नहीं
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देखना। 10 साल बाद की पिक्चर भी इमेजिन करना। इंडियन यूथ के लिए सिंपल है। आज
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अपने कॉलेज ग्रुप को हैंडल करना सीख दो। कल स्टार्टअप या सोसाइटी हैंडल कर लोगे।
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हर छोटा स्टेप एक प्रैक्टिस है। लीडर वो नहीं जो क्राउड को इंप्रेस करे। लीडर वो
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है जो क्राउड के बिना भी सही दिशा चूज़ करें। बुक का सबसे बड़ा सीक्रेट है 33 डिग्री
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माइंडसेट। यह स्टेज तब आता है जब इंसान अपना माइंड इमोशंस और एक्शंस पर फुल
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कंट्रोल कर लेता है। विलियम्स लिखते हैं ही हु कॉनकर्स हिमसेल्फ इज ग्रेटर देन ही हु कॉनकर्स अ थाउजेंड मैन। जो खुद पर जीत
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लेता है वह हजारों को जीतने वाले से भी महान है। जरा सोचो दुनिया को कंट्रोल करने की जरूरत ही क्या है? अगर आपने गुस्से,
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अपनी आलस, अपनी डर पर कंट्रोल हो गया तो लाइफ की 90% गेम आपने जीत लिया। अपने आप
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को एक कंपनी समझो। हर इमोशन एक एंप्लई है। एंगर एक स्ट्रिक्ट मैनेजर लेजीनेस एक
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छुट्टी पर गया इंटर्न फियर एक नेगेटिव अकाउंटेंट। अब अगर सीईओ आप सो रहे हैं तो
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कंपनी डूब जाएगी। लेकिन अगर सीईओ अलर्ट है हर एंप्लई को राइट रोल दे देता है तभी
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कंपनी ग्रो करेगी। इसलिए कहते हैं सेल्फस्ट इक्वल टू अपने माइंड का सीईओ बनना। अब कुछ
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डेली प्रैक्टिससेस की बात करेंगे फॉर सेल्फस्ट। फ्लक विलियम्स कुछ रिचुअल्स सजेस्ट करते
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हैं जो डेली लाइफ में डालने चाहिए। पहला मॉर्निंग साइलेंस शुभ सुबह की शांति। सुबह
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10 मिनट बस चुपचाप बैठो। माइंड को रिसेट करो। सेकंड विजुअलाइजेशन कल्पना शक्ति।
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रोज अपनी आइडिया आइडियल लाइफ जो आप जीना चाहते हो उसको इमेजिन करो। जैसे एक मूवी स्क्रीन। तीसरा सर्विस यानी सेवा। हर दिन
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किसी ना किसी की मदद करो बिना रिटर्न एक्सपेक्ट किए। चौथा लर्निंग यानी सीखना।
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रोज कम से कम 30 मिनट कुछ नया पढ़ो या सुनो। यह छोटी-छोटी हैबिट्स मिलकर आपको 33
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डिग्री माइंडसेट की ओर पुश करती हैं। एक लड़का था राहुल जो हमेशा गुस्सा करता था।
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छोटी सी बात पे फोन तोड़ देता। दोस्त को गाली दे देता। फिर एक दिन उसने एक कोट पढ़ा। कंट्रोल योरसेल्फ और यू विल बी
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कंट्रोलोल्ड बाय सरकमस्ट्ससेस। उसने मेडिटेशन स्टार्ट किया। डेली ग्रेटट्यूड
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लिखना स्टार्ट किया। 6 महीने बाद वही लड़का ऑफिस में सबसे शांत और सबसे रिस्पेक्टेड एंप्लई बन गया। उसका प्रमोशन
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भी हुआ और उसके दोस्त भी वापस आ गए। सिर्फ एक जीत बदली उसने खुद को कंट्रोल करना सीख
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लिया। क्लार्क बोलते हैं जब आप सेल्फस्ट अचीव कर लेते हो तो ऑटोमेटिकली दूसरों को
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इंस्पायर करने लगते हो। आपके हेयर एक्शन एक रिपल इफेक्ट क्रिएट करता है। जैसे एक
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तालाब में पत्थर फेंको तो लहरें चारों ओर फैल जाती हैं। वैसे ही आपकी छोटी-छोटी आदत चाहे डेली स्माइल देना या किसी की मदद
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करना हो वो सोसाइटी में रिल क्रिएट करती है। यही रिल है आपकी लीगसी बनाता है। बी द
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स्टोन दैट क्रिएट्स रिबल्स ऑफ चेंज इन सोसाइटी। तो दोस्तों, अब हमने इस पूरी
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किताब का सफर पूरा किया। शुरुआत हुई थी माइंडसेट अवेयरनेस से। फिर आए डेली रिचुअल्स और सबकॉन्शियस प्रोग्रामिंग पर
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फिर हैबिट्स और कंसिस्टेंसी पर और आज हम पहुंचे अल्टीमेट स्टेज सेल्फ मास्टरी
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लीडरशिप और लेगसी विलियम्स का विलियम्स एक लास्ट मैसेज देते हैं नॉलेज बिकम्स पावर
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ओनली व्हेन इट ट्रांसफॉर्म्स इनू विडम एंड सर्विस ज्ञान शक्ति तभी बनता है जब वह
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बुद्धि और सेवा में बदल जाए। मतलब बुक्स पढ़ना, वीडियोस देखना, मोटिवेशन लेना यह
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सब अच्छा है। पर असली खेल तब शुरू होता है जब आप उस नॉलेज को एक्शन में बदलते हो और
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दूसरों की लाइफ इंप्रूव करने के लिए यूज करते हो। अब सवाल यह है आप किस लेवल पर
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अटके हुए हो? लेवल पांच पे जहां बस अवेयरनेस है या लेवल 20 पे जहां हैबिट्स स्ट्रांग है या आप तैयार हो उस अल्टीमेट
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33 डिग्री के लिए जहां आप अपने माइंड का मास्टर बन जाते हो। चॉइस आपके हाथ में है
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क्योंकि गेम अभी भी चल रहा है। सोच बदलो जिंदगी बदल जाएगी। एंड रिमेंबर योर लेगसी बिगिंस टुडे नॉट टुमारो।