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दोस्तों आपने चरणक्य का नाम तो सुना ही होगा। उन्हें भारत का सबसे बड़ा स्ट्रेटजिस्ट और थिंकर माना जाता है।
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लेकिन क्या आपको पता है कि उनकी बातें सिर्फ राजाओं के लिए नहीं थी बल्कि आज के
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यूथ के लिए भी उतनी ही रेलेवेंट है। सोचिए 2000 साल पहले कही गई लाइंस आज भी आपकी
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जॉब, स्टार्टअप, रिलेशनशिप्स और लाइफ डिसीजंस को बदल सकती हैं। तो चलिए शुरू करते हैं जनक क्या कहते हैं और देखते हैं
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कैसे उनकी हर बात आज की जनरेशन के लिए भी लाइफ चेंजिंग लेसन है। पहले पार्ट में
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चाणक्य अर्थशास्त्र में हम बात करेंगे यूथ पर्सपेक्टिव की। चाणक्य कहते हैं प्रजा
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सुखो सुर्ख राग्ञ प्रजाना च हते हितम। आज
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इसका मतलब है आपका हैप्पीनेस दूसरों के हैप्पीनेस से जुड़ा है। एंटरप्रेन्योर हो
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तो कस्टमर का बेनिफिट आपकी ग्रोथ है। जॉब में हो तो टीम की सक्सेस से ही आपका
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प्रमोशन है। शॉर्टकट से आप थोड़े के लिए तो जीत सकते हैं लेकिन लॉन्ग टर्म में वही
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लोग सक्सीड करते हैं जो दूसरों की प्रोग्रेस को प्रायोरिटी बनाते हैं। आगे
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चलक्य कहते हैं धन ही सबसे बड़ा बल है। अब मॉडर्न जमाने में इसके अगेंस्ट ही बोला
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जाता है कि पैसा आ जाए तो यह हो जाता है, वह हो जाता है। लेकिन चाणक्य का कहना है
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कि धन ही सबसे बड़ा बल है। पैसा लग्जरी से
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ज्यादा फ्रीडम और सिक्योरिटी है। यूथ को समझना चाहिए कि फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस
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सबसे बड़ी ताकत है। जब आपके पास पैसा होता है तो आप अपने सपनों को रियलिटी बना सकते
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हैं। पेरेंट्स को सपोर्ट कर सकते हैं और सोसाइटी में रिस्पेक्ट पा सकते हैं। सैलरी
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चाहे कम हो सेविंग और इन्वेस्टमेंट को हैबिट बनाओ। पैसा चॉइस और कॉन्फिडेंस देता
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है। अगले भाग में चणक्य कहते हैं जो समय का सम्मान नहीं करता समय उसका सम्मान नहीं
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करता। आज की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है डिस्ट्रैक्शन, रील्स, Netflix, गेमिंग। यह
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आपके फ्यूचर को साइलेंटली डैमेज करते हैं। चाणक्य कहते हैं कि जो यूथ आज समय की
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वैल्यू करता है, वही कल लीडर बनता है। आपका आज का समय तय करेगा कि आप टुमारो
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फॉलोअर्स रहोगे या लीडर बनोगे। आगे चिनटी कहते हैं एक ही शत्रु से अधिक भय उन
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मित्रों से है जो आपके पास मित्रता का मुखौटा लगाकर रहते हैं। फेक फ्रेंड्स एंड
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और टॉक्सिक रिलेशनशिप्स सबसे ज्यादा डेंजरस है। ऐसे लोग आपकी एनर्जी और
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ओपोरर्चुनिटीज साइलेंटली डिस्ट्रॉय कर देते हैं। यूथ को चाहिए कि ब्लाइंड ट्रस्ट
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ना करें। आपका सर्कल ही आपका फ्यूचर है। इसीलिए वाइजली चूज करें कि किसे अपनी
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जिंदगी में जगह लेनी है और किसे नहीं। आगे अगली लाइन में चाणक्य बोलते हैं
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शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। आज
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एजुकेशन का मतलब सिर्फ डिग्री नहीं है बल्कि स्किल्स है। कोडिंग, फाइनेंस,
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डिजिटल मार्केटिंग, पब्लिक स्पीकिंग। यह स्किल्स आपके लिए परमानेंट एसेट है।
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डिग्रीज आउटडेटेड हो सकती हैं, लेकिन स्किल्स हमेशा आपको वैल्यू और रिस्पेक्ट
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दिलाएंगे। नॉलेज ही सबसे बड़ा कैपिटल है।
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अगले सेंटेंस पे चलते हैं। दूसरों की गलतियों से सीखो क्योंकि खुद सब गलतियां
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करने के लिए जीवन बहुत छोटा है। कहा तो यह जाता है कि हमें गलतियों से
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सीखना चाहिए। पर चाणक्य का इस पे थोड़ा डिफरेंट पर्सपेक्टिव है। वह कहते हैं कि
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स्मार्ट व्यक्ति वही है जो दूसरों के एक्सपीरियंसेस से सीख ले। सक्सेसफुल लोगों
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की बायोग्राफीस पढ़ो। मेंटर्स को ऑब्जर्व करो और फेलियर्स से लेसंस निकालो। अगर हर
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गलती खुद करके सीखोगे तो लाइफ बहुत छोटी पड़ जाएगी। लेकिन दूसरों से सीखकर आप
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शॉर्टकट्स ले सकते हो और जल्दी आगे बढ़ सकते हो।
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आगे चाणक्य बोलते हैं व्यक्ति को अपने कर्मों से पहचाना जाता है। वचनों से नहीं
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सोशल मीडिया पर दिखावा करना आसान है। लेकिन असली आइडेंटिटी आपके काम और
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रिजल्ट्स से होती है। लोग आपको आपके कैप्शनंस या सेल्फीज़ से नहीं बल्कि आपके
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रिजल्ट्स और एक्शंस से जज करेंगे। इसलिए कम बोलो ज्यादा करके दिखाओ।
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अगला सेंटेंस है अत्यधिक ईमानदारी भी खतरनाक है। अब इसका कतई मतलब डिसऑनेस्ट
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होना नहीं है। ऑनेस्टी इज अ गुड एसेट टू हैव बट चाणक्य कहते हैं कि स्मार्ट
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ऑनेस्टी रखो। हर जगह साफ सच बोल देना आपको
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नुकसान पहुंचा सकता है। और यह हर किसी ने अपनी लाइफ में कभी ना कभी एक्सपीरियंस
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किया होता है। ऑफिस पॉलिटिक्स, रिलेशनशिप्स या डील्स यहां सच बोलना भी है
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तो स्ट्रेटजी और डिप्लोमेसी के साथ सच आवश्यक है, इंपॉर्टेंट है लेकिन उसे बोलने
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का तरीका उससे भी इंपॉर्टेंट है। अगले सेंटेंस पर चलते हैं। कोई भी कार्य
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शुरू करने से पहले तीन प्रश्न खुद से पूछो। मैं क्यों कर रहा हूं? इसके क्या
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परिणाम होंगे? और क्या मैं सफल हो पाऊंगा? यह तीन सवाल डिसीजन मेकिंग का सबसे
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पावरफुल टूल है। अगर आपने अपनी जिंदगी में इनफॉर्मड डिसीजंस लेने हैं, तो इस टूल का
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इस्तेमाल कीजिए। करियर चुनना हो, स्टार्टअप शुरू करना हो या रिलेशनशिप में
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कमिट करना हो, यह सवाल आपको क्लेरिटी देंगे और क्लेरिटी ही सक्सेस की फाउंडेशन
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है। यह नीव रखी जाती है जब आपके दिमाग में क्लेरिटी होती है। और जिस इंसान के दिमाग
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में क्लेरिटी है, उसको इधर-उधर नहीं सोचना पड़ता। उसका किसी काम स्टार्ट करने से पहले डिस्ट्रक्शन नहीं होती, टाइम वेस्ट
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नहीं होता। तो क्लेरिटी ही सक्सेस की फाउंडेशन है। इस प्रिंसिपल की को अपने
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लाइफ में अपना लीजिए। आगे चाणक्य कहते हैं संकट के समय में समझदार व्यक्ति ही असली
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वीर होता है। फेलियर्स और स्ट्रगल्स लाइफ का हिस्सा है। लेकिन पैनिकिक करने के बजाय
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कारली सोचने वाला और सशंस ढूंढने वाला ही असली विनर है। प्रॉब्लम्स आपको रोकने नहीं
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आई हैं बल्कि ग्रो कराने आई हैं। यही रेिलियंस आपको दूसरों से अलग करता है। तो
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जब भी संकट आपके जीवन में आए तो उसको दो हाथों से लेना है। उसको आराम से हैंडल
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करना है। उस समय पर आपने काम रहना है। पैनिकिक नहीं करना है।
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आगे चाणक्य कहते हैं सफलता का रहस्य है समय का सही उपयोग। आज यूथ अक्सर
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प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं। चीजों को डालते रहते हैं। सोशल मीडिया, Netflix, बिंज
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वाचिंग और डिस्ट्रैक्शंस हमारे टाइम को खा लेते हैं। चणक्य कहते हैं कि जो यूथ अपने
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समय को स्ट्रक्चरर्ड और प्रोडक्टिव बनाते हैं वही जल्दी और सस्टेनेबल सक्सेस पाते
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हैं। स्मॉल डेली हैबिट्स जैसे कि मॉर्निंग रूटीन, लर्निंग शेड्यूल या गोल सेटिंग।
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आपकी लाइफ ट्रेजिकरी बदल सकते हैं। टाइम मैनेजमेंट ही मॉडर्न यूथ का सबसे बड़ा वेपन है। सबसे बड़ा हथियार है। अगले भाग
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में चणक्य कहते हैं जो दूसरों की ताकत और कमजोरी समझता है वही विजय प्राप्त करता
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है। आज का यूथ चाहे स्टार्टअप करे, कॉर्पोरेट जॉब में हो या पर्सनल लाइफ में
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कॉम्पिटिटिव हो, उसे यह समझना जरूरी है कि हर सिचुएशन में स्ट्रेंथ्स और वीकनेसेस
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एकिस्ट करती हैं। कॉम्पिटिट एनालिसिस, सेल्फ अवेयरनेस और स्ट्रेटेजिक प्लानिंग
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आपके डिसीजंस को शार्प तीखा बनाते हैं। सिर्फ हार्ड वर्क, मेहनत ही नहीं स्मार्ट
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वर्क और सिचुएशनल अवेयरनेस ही सफलता देती
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है। बहुत सारी जगह पे यह इंपॉर्टेंट नहीं होता कि क्या बोलना है। बोल तो सब लोग सेम
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लेते हैं। बट किस समय पे क्या बात बोलनी है, उसको सिचुएशनल अवेयरनेस कहा जाता है।
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और यह एक बहुत इंपॉर्टेंट स्किल है जो होना जरूरी है और जिसे आपको डेवलप करना चाहिए। आगे चणक्य कहते हैं धैर्य और संयम
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ही व्यक्ति को महान बनाते हैं। यूथ अक्सर इंपल्सिव डिसीजंस लेते हैं।
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इंपल्सिव डिसीजंस वो डिसीजंस होते हैं जहां हम ज्यादा सोचते नहीं। बस आवताव में
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डिसीजन ले लेते हैं। और वो लेते हैं हम इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन के लिए। इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन का मतलब है ऐसी चीजें जो
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हमेशा जो हमें एकदम से मजा देती हैं। जैसे वीडियो गेम खेलना यह इंस्टेंट
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ग्रेटिफिकेशन है। पार्टी करना यह भी इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन है। बट पढ़ाई करना
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डिलेड ग्रेटिफिकेशन है। क्योंकि जब आप पार्टी करते हैं तो आपको उसी टाइम मजा मिलता है। और जब आप पढ़ाई करते हैं, उसका
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रिजल्ट आपको साल के अंत में आता है। और चाणक्य हमें बताते हैं कि पेशेंस और सेल्फ
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कंट्रोल ही लॉन्ग टर्म ग्रोथ देते हैं। रिलेशनशिप्स में, करियर में या फाइनेंस
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में जो यूथ खुद को कंट्रोल कर लेते हैं और इंपल्सिव रिएक्शंस से बचते हैं, वही
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मैच्योर और रिस्पेक्टेड बनते हैं। और जो लोग इंस्टेंट ग्रेटिफिकेशन के पीछे भागते
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हैं, उनका वक्त कैसे बर्बाद हो जाता है, उनको पता ही नहीं चलता। लोग आगे निकल जाते हैं और वह पीछे रह जाते हैं। आगे चाणक्य
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बोलते हैं व्यक्ति के कैरेक्टर का मूल्य उसके एक्शंस से नापा जाता है। आज सोशल
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मीडिया पर दिखावे का दौर है। लेकिन आपकी असली पहचान आपकी डीड्स से बनती है। आप किस
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तरह के कर्म करते हैं। यूथ को चाहिए कि वह शॉर्ट टर्म फेम या वैलिडेशन के पीछे ना
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भागे। लॉन्ग टर्म में रिस्पेक्ट और इन्फ्लुएंस सिर्फ एक्शंस और कंसिस्टेंट एफर्ट्स से आती है। जो यूथ अपने वर्ड्स से
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ज्यादा एक्शन पर फोकस करते हैं वही लीडर बनते हैं। आगे चाणक्य कहते हैं ज्ञान ही
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सबसे बड़ा धन है। आज नॉलेज सिर्फ डिग्री नहीं बल्कि स्किल्स हैं। कोडिंग, फाइनेंस,
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एआई, मार्केटिंग, कम्युनिकेशन यह स्किल्स आपको फ्यूचर प्रूफ बनाती हैं। यूथ जो कंटीन्यूअसली सीखते हैं और अपग्रेड करते
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रहते हैं वही इकोनॉमिक और सोशल वैल्यू क्रिएट कर पाते हैं। चाणक्य कहते हैं नॉलेज ही सबसे बड़ा एसेट है। आगे चाणक्य
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बोलते हैं विफलता से मत डरिए। असली शिक्षा वहीं से आती है। यूथ अक्सर फेलियर्स से
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डरते हैं। स्टार्टअप फेल हो, एग्जाम फेल हो, रिजेक्शन हो। यह सभी लेसंस है जो यूथ
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फियर को अपोरर्चुनिटी में बदल देते हैं वही रेिलिएट बनते हैं। चाणक्य का प्रिंसिपल आज भी रेलेवेंट है। मिस्टेक्स
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इनएविटेबल है लेकिन उनसे सीखना और आगे बढ़ना ही सक्सेस का तरीका है।
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आगे बात करते हैं। असफल लोग समय को खो देते हैं। सफल लोग समय का सदुपयोग करते
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हैं। टाइम मैनेजमेंट और प्रायोरिटाइजेशन मॉडर्न यूथ के लिए क्रूशियल है। इसका मतलब
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है अपने समय का सही से इस्तेमाल और दूसरा प्रायोरिटी सेट करना कि कौन सी चीज पहले
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करनी जरूरी है। इसमें एक मॉडर्न प्रिंसिपल भी है ईट द फ्रॉग फर्स्ट। इसका मतलब यह है
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कि जो सबसे जरूरी काम है वह सबसे पहले करना है और जो सबसे मुश्किल काम है वो भी सबसे पहला करना है क्योंकि उसके बाद के
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काम आपको आसान लगे। इसीलिए मल्टीटास्किंग से बचो। जो हम सोचते हैं ना कि
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पढ़ते-पढ़ते गाने भी सुन लिए वह एक मल्टीटास्किंग है। उससे आप बचें। आप फोकस
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बनाएं और हाई वैल्यू एक्टिविटीज पर एनर्जी इन्वेस्ट करें। जो यूथ अपनी लाइफ में
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डिस्ट्रैक्शंस को कम करके अपना समय सही तरीके से इस्तेमाल करते हैं, वही फास्ट
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ट्रैक ग्रोथ अचीव करते हैं। आगे चाणक्य कहते हैं, संपत्ति की रक्षा उतनी ही
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महत्वपूर्ण है जितना उसे अर्जित करना। मतलब संपत्ति लेना उतना इंपॉर्टेंट तो है
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पर उसकी रक्षा करना उससे भी ज्यादा इंपॉर्टेंट है। आज यूथ के लिए वेल्थ
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क्रिएशन के साथ वेल्थ प्रिजर्वेशन भी उतना ही इंपॉर्टेंट है। इंपल्स स्पेंडिंग
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जाके कपड़े खरीद लेना। पहली नौकरी पे ही iPhone खरीद लेना। उसके बाद ईएमआई पे कार
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ले लेना। डेट ट्रैप में फंस जाना और दूसरों से इन्फ्लुएंस होके फिल्म स्टार्स को देख के लग्जरियस चीजें खरीदना। सो यह
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जो अननेसेसरी लग्जरीज होती हैं, यह फ्यूचर की स्टेबिलिटी को थ्रेटन करती हैं। चलिए
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कहते हैं कि रिसोर्सेज को मैनेज और प्रोटेक्ट करना बहुत जरूरी है। फाइनेंशियल
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लिटरेसी, इन्वेस्टमेंट्स और स्मार्ट स्पेंडिंग आपकी फ्यूचर सिक्योरिटी के लिए
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बहुत ही इंपॉर्टेंट है। आगे चणक्य कहते हैं, सफल व्यक्ति वही है जो परिस्थिति में
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अपने आप को अनुकूल बना सके। मॉडर्न यूथ को फ्लेक्सिबिलिटी और
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अप्टेबिलिटी सीखनी होगी। करियर स्विचेस, मार्केट चेंजेस और टेक डिरप्शनंस कॉमन है।
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जो यूथ चेंजिंग एनवायरमेंट में अप्ट होते हैं, वही ग्रोथ और सक्सेस पाते हैं।
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चाणक्य की यह एडवाइस बताती है कि रिजिड होना नुकसान देता है। फ्लेक्सिबल होना
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एडवांटेज देता है। आगे चाणक्य बोलते हैं, सफलता केवल मेहनत से नहीं बुद्धिमानी से
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मिलती है। हार्ड वर्क बहुत जरूरी है लेकिन सिर्फ मेहनत से लिमिट्स है। स्मार्ट वर्क, स्ट्रेटेजिक थिंकिंग और प्लानिंग यूथ को
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फास्ट ट्रैक सक्सेस देते हैं। आजकल के कॉम्पिटिटिव एनवायरमेंट में सिर्फ घंटे
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लगाने से कुछ नहीं होगा बल्कि आर्ट्स के साथ इंटेलिजेंस और प्लानिंग भी जरूरी है।
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चाणक्य का यह प्रिंसिपल मॉडर्न करियर और एंटरप्रेन्योरशिप में हाईली रेलेवेंट है।
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आगे चाणक्य कहते हैं जो व्यक्ति अपने डर पर काबू पा लेता है वही असली स्वतंत्र है।
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आज के यूथ के लिए यह लेसन बहुत पावरफुल है। फियर ऑफ फेलियर, फियर ऑफ रिजेक्शन या
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फियर ऑफ जजमेंट अक्सर डिसीजंस ब्लॉक कर देता है। चाणक्य कहते हैं कि डर पर कंट्रोल ही फ्रीडम है। जब आप अपने फिय्स
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को समझते हैं और उनसे ओवरकम करते हैं तो आप अपनी जिंदगी के हर क्षेत्र में
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कॉन्फिडेंट और इंडिपेंडेंट बनते हैं। रिस्क लेने और कंफर्ट ज़ोन से बाहर निकलने की कैपेसिटी ही ग्रोथ और सक्सेस की गारंटी
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देती है। तो इसीलिए सही कहा गया है डर के आगे जीत है। अपने डर का सामना कीजिए। द
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बेस्ट वे टू बी आउट ऑफ फियर इज टू गेट इंटू दैट फियर। कोई जिंदगी में फियर है तो उसमें घुस जाओ। उससे जितना दूर भागोगे वह
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आपको उतना ही तंग करेगा। इसमें एक बहुत बढ़िया एग्जांपल है। मेरा एक दोस्त है जो
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बहुत ज्यादा पब्लिक स्पीकिंग से भागता था। उसको कभी स्कूल में पोएम बोलनी है या कोई
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लेक्चर देना है या कुछ बोलना है तो हमेशा दूर भागता था। पब्लिक स्पीकिंग से बचता था। जैसे ही उसने कॉलेज पास आउट किया।
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एमबीए की उसके बाद जैसे ही उसको पहली जॉब मिली। उसमें पहला काम ही उसका यही था।
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उसको एक पेंट कंपनी में नौकरी मिली। जहां पे उनको पेंटर्स को स्पीच देनी होती थी, समझाना होता था। तो जिस चीज से वो भागता
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रहा वही चीज उसके सामने आ गई। सो इसीलिए द बेस्ट वे टू बी आउट ऑफ अ फियर इस टू गेट इनू दैट फियर। उस फियर में घुस जाओ। आगे
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चणक्य कहते हैं समय की कदर करने वाला व्यक्ति ही महान बनता है। यूथ अक्सर प्रोक्रेस्टिनेशन और डिस्ट्रैक्शंस में
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फंस जाते हैं। चणक्य की यह बात आज भी उतनी ही रेलेवेंट है। हर दिन एक तो प्रोडक्टिव
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हैबिट्स अडॉप्ट करें। जैसे मॉर्निंग रूटीन, लर्निंग शेड्यूल या गोल सेटिंग। जो यूथ अपने समय को वाइजली यूज करते हैं वही
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फ्यूचर में लीडर्स बनते हैं। समय की वैल्यू समझना आपको एज देता है और आपको एवरेज से अलग बनाता है। क्योंकि जब आप समय
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की कदर करते हैं तो आप अपने आसपास ऐसे लोगों को अट्रैक्ट करते हैं जो सक्सेसफुल
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हैं जो अपनी लाइफ में कुछ करना चाहते हैं। वहीं अगर आप समय की कदर नहीं करते तो आपके
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आसपास भी लोग उस तरीके के अट्रैक्ट होंगे जो टाइम वेस्टर्स हैं तो उससे आपकी हैबिट आगे वो चलती जाएगी चलती जाएगी चलती जाएगी
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और आप अगले 5 साल में इतना समय वेस्ट कर दोगे जितने में आप एक नहीं दर्जनों स्किल
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सीख सकते हैं। आगे चाणक्य कहते हैं अपने ज्ञान को कार्य में लगाना ही असली
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बुद्धिमानी है। अब ज्ञान तो बहुत लोगों के पास होता है। बट उसको सही जगह पर लगाना ही
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असली बुद्धिमानी है। आज नॉलेज सिर्फ एक्यूमुलेशन के लिए नहीं है, इकट्ठी करने के लिए नहीं है। यूथ जो स्किल्स और
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इंफॉर्मेशन को प्रैक्टिकल एकशंस में कन्वर्ट करते हैं। जैसे कि आपने डिजिटल मार्केटिंग सीख ली तो वो सीखने से कुछ
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नहीं होगा। उस स्किल को अप्लाई करना है। कहीं नौकरी कीजिए या अपना एक स्टार्टअप बनाइए या कोई भी प्रोडक्ट आप एड्स के थ्रू
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बेचिए और इसी से आप ग्रोथ अचीव करते हैं। अब चाहे स्टार्टअप शुरू करना हो, जॉब में
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परफॉर्मेंस इंप्रूव करना हो या पर्सनल प्रोजेक्ट्स एग्जीक्यूट करना हो, नॉलेज का
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प्रैक्टिकल यूज़ ही आपको कॉम्पिटिटिव बनाता है। सिर्फ पढ़ाई और थ्योरी आपको लॉन्ग टर्म
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में आगे नहीं ले जाएंगी। आगे चाणक्य कहते हैं सफल लोग अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते।
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वह स्वयं अवसर बनाते हैं। यह तो हमने बहुत सुना है कि यू नीड टू क्रिएट
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ओपोरर्चुनिटीज। और ओपोरर्चुनिटीज कभी आपके पास नहीं आती। अगर आएंगी तो बाय चांस आएंगी। बाय चॉइस नहीं आएंगी और चांस की
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कोई गारंटी नहीं है। यूथ अक्सर मौका आएगा तो कर लूंगा। एटीट्यूड रखते हैं। चाणक्य
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का यह प्रिंसिपल बताता है कि वेटिंग पैसिव है। एक्टिव होना जरूरी है। अपने स्किल्स,
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नेटवर्क और आइडियाज से अपोरर्चुनिटीज क्रिएट करें। जो यूथ प्रोएक्टिव है वही लीडरशिप और ग्रोथ के रास्ते खोलते हैं।
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वेटिंग केवल समय बर्बाद करता है। इनिशिएटिव लेने वाला ही जीतता है और सबसे
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बढ़िया तरीका है ओपोरर्चुनिटीज क्रिएट करने का कि जब आपके पास वक्त है, काम नहीं
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है और स्किल आपको आता है, तो ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलिए। कौन सा पर्सन आपके
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लिए क्या अपोरर्चुनिटी लेके आता है, आपको पता ही नहीं चलेगा। और जब तक आप लोगों को बताओगे ही नहीं कि मेरे में यह टैलेंट है।
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यह स्किल मैं जानता हूं, तब तक आपका स्किल वो एक जंगल में मोर नाचा की तरह है। आपके
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स्किल के बारे में कोई जानता नहीं है। यू नीड टू एडवरटाइज योर स्किल्स। यू नीड टू एडवरटाइज योरसेल्फ। दैट इज हाउ यू विल गेट
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बिजनेस। दैट इज हाउ यू विल गेट वर्क। आगे चके कहते हैं अपने शरीर और मन की रक्षा
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करना ही सफलता की पहली शर्त है। हेल्थ और मेंटल वेल बीइंग यूथ के लिए क्रूशियल है।
18:49
फिटनेस, मेडिटेशन, प्रॉपर स्लीप और स्ट्रेस मैनेजमेंट यह बेसिक हैबिट्स ही लॉन्ग टर्म परफॉर्मेंस है और
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प्रोडक्टिविटी तय करते हैं। चिनक्य कहते हैं कि बिना स्ट्रांग बॉडी और फोकस माइंड वेल्थ और करियर मीनिंगलेस है। अपनी एनर्जी
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और हेल्थ को प्रायोरिटी बनाना ही स्मार्ट यूथ की पहचान है। और चिनक्य की इस बात से
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आज के नंबर वन मोटिवेशनल कोच टोनी रॉबिंस भी एग्री करते हैं। और उनका यह कहना है कि
19:14
जब भी जिंदगी में बुरा वक्त चल रहा है, पैसा नहीं है, काम नहीं है तो सिर्फ अपनी
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फिजिकल और मेंटल फिटनेस पे काम करो। फिजिकल फिटनेस के लिए भागो, जिम जॉइन करो, योगा करो। अगर पैसे नहीं है तो सिर्फ
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भागो। बहुत सारी एक्सरसाइजज़ हैं जिनके लिए पैसों की जरूरत ही नहीं है। अपने पुश अप लगाने हैं उसके लिए एक पैसा नहीं चाहिए
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आपको। और उसी तरह अपनी मेंटल फिटनेस पे काम करो। किताबें पढ़ो, नए-नए कांसेप्ट सीखो। आज की डेट में एआई का इस्तेमाल करो।
19:39
नई-नई चीजें क्योंकि जैसे कसरत आपके शरीर को बढ़िया बनाती है, वैसे ही किताबें
19:47
पढ़ना, नए कांसेप्ट सीखना वो आपके दिमाग की कसरत है। तो जब वक्त बुरा चल रहा है या
19:52
अच्छा भी चल रहा है, यू नीड टू वर्क ऑन योर फिजिकल एंड मेंटल फिटनेस। बिकॉज़ ऐसी
19:58
सक्सेस का कोई फायदा नहीं। जब आप पैसे तो बहुत कमा लें, बट आप ओबीस हो जाए। आप मोटे
20:05
हो जाए या आप बीमारियों से लदे हो तो ऐसी सक्सेस का कोई फायदा नहीं है। आगे चिनक्य
20:11
कहते हैं जो इंसान खुद पर विश्वास रखता है वही दूसरों को प्रभावित कर सकता है। यह
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बहुत ही इंपॉर्टेंट बात है। आज की डेट में यूथ में सेल्फ डाउट कॉमन है। चणक्य कहते हैं कि कॉन्फिडेंस और सेल्फ बिलीफ ही
20:24
इन्फ्लुएंस और लीडरशिप का सोर्स है। जो यूथ अपनी एबिलिटीज पर ट्रस्ट करते हैं वही नेगोशिएशन, नेटवर्किंग और पर्सनल
20:31
ब्रांडिंग से बेहतर परफॉर्म करते हैं। दूसरों को इंस्पायर करना तब भी पॉसिबल है जब आप खुद इंस्पायर्ड और कॉन्फिडेंट हो।
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सोचिए आप किसी क्लाइंट के पास जा रहे हैं अपना एक प्रोडक्ट लेके अपनी सर्विस एक्सप्लेन करने और उस प्रोडक्ट और सर्विस
20:44
से आप खुद कन्विंस नहीं है तो क्लाइंट को कैसे कन्विंस करेंगे। तो अपने आप में एक
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विश्वास होना जरूरी है कि जो भी चीज मैं बताने जा रहा हूं, जो आईडिया बताने जा रहा हूं, पहले आप उससे खुद कन्विंस्ड होने
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चाहिए। तो पहले आपको खुद पर विश्वास होना चाहिए। तभी वह अविश्वास आप दूसरों में
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ट्रांसफर कर पाएंगे वरना नहीं कर पाएंगे। उनके सवालों के जवाब नहीं दे पाएंगे। आगे चक्य कहते हैं शांति और संयम से बड़ा
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हथियार कोई नहीं। तो यूथ इंपल्सिव डिसीजंस तो लेते ही हैं और इस
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वजह से क्या होता है कि वह बहुत सारी ओपोरर्चुनिटीज मिस कर देते हैं। और कई बार
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एक कांसेप्ट है सक्सेस इज़ ओनली अ माइल अवे। कि कई बार हम रास्ते पर चलते हैं कि बहुत जब रास्ते पर पहुंचने जाते हैं उससे
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पहले हम अपने कदम पीछे खींच लेते हैं। हमें लगता है कि अब नहीं होगा। तो इसीलिए
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आपके शांति शांति का मतलब यह है कि सोच समझ के डिसीजन लेना और संयम यानी पेशेंस।
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पेशेंस जिंदगी में बहुत जरूरी है। सक्सेस में टाइम लगता है। कंपाउंड इफेक्ट बुक में
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डेरिन हडी ने यही बताया है कि जब हम चीजें धीरे-धीरे धीरे-धीरे रेगुलर लेवल पर रोज
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रोज-रोज़ करते हैं तो वह चीजें बड़ी बनती हैं। तो वह बड़े बनने के लिए संयम चाहिए और शांति भी चाहिए क्योंकि मन में अशांति
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है तो आप काम नहीं कर पाओगे। तो शांति से रोज अपने गोल्स पर काम कीजिए और संयम
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रखिए। सक्सेस इज इनविटेबल। सक्सेस ही आपके पास आना ही आना है अगर आप कंपाउंड इफेक्ट
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के प्रिंसिपल को फॉलो करोगे और यही चाणक्य ने आज से 2000 साल पहले बताया था जो
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मॉडर्न मोटिवेशनल कोचेस आपको आज की डेट में बताते हैं। आगे चाणक्य कहते हैं संकट
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का सामना करने वाला व्यक्ति ही असली विजेता है। फेलियर्स रिजेक्शंस ऑब्सकल्स लाइफ का हिस्सा है। यूथ जो सेट पैक्स में
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पैनिकिक नहीं करते और कामली स्ट्रेटजी बनाते हैं वही आगे बढ़ते हैं। क्राइसिस को फियर की तरह नहीं बल्कि लर्निंग और ग्रोथ
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की अपोरर्चुनिटी की तरह देखो। रिलीज रेिलियंस, पब्लिक प्रॉब्लम सॉल्विंग और काम माइंड ही लॉन्ग टर्म सक्सेस की की है।
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और यह सब कुछ हमने देखा कोविड के वक्त में। कोविड एक ऐसा वक्त था जिसमें बहुत सारे लोग जॉबलेस हो गए थे और उनके पास कोई
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काम नहीं था। बहुत सारे लोगों के बिजनेस बंद हो गए। तो इस टाइम पे बहुत सारे लोग
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थे जिन्होंने संकट का सामना किया। कुछ नया सोच के लोगों ने नए-नए बिजनेस स्टार्ट
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स्टार्ट किए। एक टाइम पर मास्क का बहुत काम था। लोगों ने मास्क बनाने स्टार्ट कर दिए। लोगों ने और बड़ी सारी चीजें बनानी
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शुरू कर दी जो उस टाइम कोविड के टाइम पे जरूरी थी। और यही आपको करना है। संकट का
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सामना करना है। संकट आना ही आना है। बिकॉज़ फ्यूचर इज अन प्रिडिक्टेबल। आप सोचिए कि
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लाइफ एक बड़ी स्मूथ सी जर्नी है। हमेशा स्मूथ तरीके से चलती रहेगी। तो ऐसा नहीं
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होगा। तो इसलिए अपने आप को आपने मेंटली प्रिपेयर करना है और चुनौतियों का डटकर
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सामना करना है। चुनौतियां आएंगी ही आएंगी। आगे चणक्य कहते हैं सही योजना के बिना कोई
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भी कार्य सफल नहीं होता। यह तो कहा ही गया है कि प्लानिंग इज वेरीेंट। यूथ अक्सर
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इंपल्सिव एक्शन लेते हैं बिना सोचे समझे और बिना प्लानिंग के फेल हो जाते हैं।
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चणक्य का यह प्रिंसिपल आज के एंटरप्रेन्योरशिप और करियर प्लानिंग में डायरेक्टली एप्लीकेबल है। गोल सेटिंग,
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टाइमलाइन, रिसोर्सेज, रिस्क एनालिसिस यह सब प्लानिंग का हिस्सा है। जो यूथ केयरफुली प्लान करते हैं, वही टाइम और
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एफर्ट का मैक्सिमम रिटर्न पाते हैं। जब आप किसी चीज को प्लान करते हैं, तो आप एक तरह
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से अपने आपको मेंटल क्लेरिटी देते हैं। और जब आप चीज को प्लान के रूप में एक
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ब्लूप्रिंट बनाते हैं, अपनी कॉपी में लिखते हैं या कंप्यूटर पर डिजाइन करते हैं
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तो उसके बाद दिमाग न्यूरॉन्स बना लेता है। दिमाग भी पैटर्न्स बना लेता है और तब आपका
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दिमाग में जो वो इमेज है प्लान की वो आ जाती है। उस हिसाब से दिमाग पुरानी आपके
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दिमाग में कोई इंफॉर्मेशन है उसको उस इंफॉर्मेशन से जोड़ता है और यहां से आपकी एक मेंटल एक्टिविटी स्टार्ट होती है। तो
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अगर आप प्लान ही नहीं करेंगे तो उस लेवल तक का सोचेंगे नहीं। तो इसीलिए प्लानिंग इज वेरीेंट।
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आगे चाणक्य कहते हैं मित्र का चुनाव सोच समझ करो क्योंकि आपका भविष्य आपके मित्रों
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से तय होता है। यूथ के लिए सबसे बड़ा इन्फ्लुएंस उनका दोस्ती का सर्कल है। गुड
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फ्रेंड्स आपको अपलिफ्ट करेंगे। जबकि टॉक्सिक फ्रेंड्स आपकी एनर्जी और फोकस बर्बाद कर देंगे। करियर, हैबिट्स और
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माइंडसेट पर दोस्ती का सीधा असर होता है। इसलिए वाइसली चूज़ करें कि आप किसके साथ
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टाइम स्पेंड करते हो। आपका नेटवर्क ही आपका नेटवर्थ है। इसमें एक इंपॉर्टेंट
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लाइन यह भी है कि यू बिकम द एवरेज ऑफ फाइव पीपल यू मीट और इंटैक्ट विद मतलब आप जो
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100% हैं तो 20 20% आप उनका हैं जो आपके साथ बहुत टाइम लगाते हैं। उसमें आपके
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माता-पिता भाई-बहन भी आ जाते हैं और आपके दोस्त भी आ जाते हैं। तो माता-पिता और
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भाई-बहन का चुनाव आपने नहीं किया। वो तो भगवान ने किया है तो वह भगवान की देन है। दोस्त का चुनाव आप खुद कर सकते हैं। जो जो
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दोस्त आपकी नेगेटिव माइंडसेट के हैं, जो प्रोक्रेस्टिनेट करते हैं, जो फियर मगरिंग
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करते हैं और जो आपकी छोटी-छोटी सक्सेस से जलते हैं या जो आप कुछ भी नया करना चाहे
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तो आपका मजाक उड़ाते हैं। तो ऐसे फ्रेंड सर्कल को छोड़ दो। उसका आपको कोई फायदा नहीं होगा। और ऐसे दोस्त बनाओ जो आपको
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प्रेरित करें जो आपको समझाएं या जिनके पास बहुत सारे आइडियाज हो या जिनके साथ आप
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मिलके यू फील रिजुबिनेटेड या वह आप में एनर्जी लेके आए तो उस तरीके के दोस्तों के साथ आप टाइम लगाना स्टार्ट कीजिए। आगे
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चाणक्य कहते हैं जो अपने रहस्यों को सुरक्षित रखता है वही सुरक्षित रहता है।
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आज ओवर शेयरिंग कॉमन है। सोशल मीडिया पर प्राइवेट लाइफ शेयर करना या किसी भी व्यक्ति को पर्सनल डिटेल्स बता देना।
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चणक्य कहते हैं कि सीक्रेसी स्ट्रेंथ है। अपने प्लांस और वीकनेसेस हर किसी के सामने
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ना रखो। यूथ को सीखना चाहिए कि कॉन्फिडेंशियलिटी आपको स्ट्रांग और मोर पावरफुल बनाती है।
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इसी में एक और मॉडर्न प्रिंसिपल है जिसे कहते हैं नेवर वाश योर डर्टी लीन इन द
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पब्लिक। इसका मतलब यह है कि अगर आपके कपड़े गंदे हैं तो पब्लिक में धोने की जरूरत नहीं है। तो सिंपल शब्दों में इसका
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मतलब यह है कि आपकी पर्सनल लाइफ में आपके घर में कोई प्रॉब्लम चल रही है तो उसको घर
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तक ही रखिए। जितने ज्यादा लोग उसे डिस्कस करेंगे कोई फायदा नहीं होगा। हां, आपका
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कोई मेंटोर है जिससे आपको सजेशन लेना चाहते हैं, दैट इज ओके। वह आप कर सकते हैं। बट अगर आप अपने दोस्तों को बता रहे
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हैं या सिर्फ लोगों को बताने के लिए बता रहे हैं और ऐसे लोगों को बता रहे हैं
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जिनसे आपको कोई सजेशन नहीं मिलने वाली तो उससे आपको कोई फायदा नहीं होने वाला। वो एक वेस्टफुल एक्सरसाइज है। आगे चणक्य कहते
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हैं आलस्य सबसे बड़ा शत्रु है। यह तो बहुत इंपॉर्टेंट है। लेजीनेस और प्रोक्रेस्टिनेशन यूथ की सबसे बड़ी
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प्रॉब्लम्स है। ड्रीम्स बड़े हैं लेकिन एक्शन नहीं होता। चाणक्य साफ कहते हैं कि आलसी व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता।
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डिसिप्लिन और डेली एक्शन ही लॉन्ग टर्म सक्सेस का फार्मूला है। मोटिवेशन टेंपरेरी है लेकिन कंसिस्टेंसी परमानेंट सक्सेस
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देती है। मैक्सिमम लोगों के पास प्लान होता है। डेडलाइन भी होती है कि कब तक करना है। कोई सिस्टम नहीं होता और इसी
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सिस्टम ना होने की वजह से अलस्य आता है। तो आपने जिम जॉइ करना है और आपने 10 किलो
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वेट लूज करना है। तो जिम जॉइ करना एक प्लान है और 10 किलो वेट लूज करना 2 महीने
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में या 3 महीने में वो एक डेडलाइन है। इसके लिए एक सिस्टम बनाना पड़ता है। रोज जिम जाना पड़ता है। ठीक से खाना खाना
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पड़ता है। और अगर आप यह चीजें नहीं कर रहे हैं तो आपकी जिंदगी में अलस्य और प्रोक्रास्टिनेशन आना ही आना है। तो इसलिए
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सिस्टम्स बनाइए। सिस्टम्स बहुत जरूरी हैं। आगे चणक्य कहते हैं संपत्ति और ज्ञान का
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उपयोग समाज के हित में करना चाहिए। यह बहुत इंपॉर्टेंट है। चणक्य की यह बात यूथ को सोशल रिस्पांसिबिलिटी सिखाती है। पैसा
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और नॉलेज सिर्फ पर्सनल लग्जरी के लिए नहीं बल्कि दूसरों को अपलिफ्ट करने के लिए भी होना चाहिए। एंटरप्रेन्योरशिप, जॉब्स और
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इनोवेशंस तभी मीनिंगफुल हैं जब वह सोसाइटी को बेटर बनाते हैं। यूथ अगर कंट्रीब्यूशन
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माइंडसेट अपनाते हैं तो उनकी रिस्पेक्ट और इंपैक्ट दोनों बढ़ते हैं। तो इसलिए आप इनोवेट कीजिए और इनोवेट ऐसी चीजें कीजिए
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जिससे समाज को फायदा हो। यह ना हो जिससे समाज को नुकसान हो। तो आपके जो भी बिजनेस
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प्लांस होने चाहिए वह और या जॉब का प्लान भी है तो ऐसे उसमें अपने फील्ड में जाना
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है जिससे आप जो काम कर रहे हैं उससे लोगों को फायदा हो। आगे चणक्य कहते हैं एक ही
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बार में सब कुछ पाना असंभव है। बहुत लोगों के बहुत बड़े-बड़े ड्रीम्स होते हैं। और
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यूथ जो है वो तो इंस्टेंट सक्सेस चाहते हैं क्योंकि वो माइक्रोवेव जनरेशन में पैदा हुए हैं। जहां चीज 2 मिनट में गर्म
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हो जाती है। 2 मिनट में मैगी मिल जाती है और 5 मिनट में Zomato या sविg या 5 मिनट तो कम हो गया। 10-15 मिनट में Zomato SwBI
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से खाना आ जाता है। लेकिन चक कहते हैं कि ग्रोथ स्टेप बाय स्टेप होती है। पेशेंस और
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प्रोसेस को एंब्रेस करना जरूरी है। जिंदगी में प्रोसेस और पेशेंस को अपनाएं। करियर, फाइनेंस या रिलेशनशिप्स सब ग्रेजुअल बिल्ड
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होते हैं। सक्सेस एक जर्नी है। शॉर्टकट से सिर्फ टेंपरेरी गेंस मिलते हैं और जो कि
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बाद में खत्म भी हो जाते हैं। परमानेंट गस चाहिए या ऐसे गेंस चाहिए जो बार-बार मिलते रहे। उसके लिए आपको पेशेंस और प्रोसेस को
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अपनी जिंदगी का अभिन्न अंग बनाना है। आगे चाणक्य कहते हैं सफलता का मूल मंत्र है
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योजना, मेहनत और धैर्य। प्लानिंग के बिना डायरेक्शन नहीं, हार्ड वर्क के बिना एग्जीक्यूशन नहीं और पेशेंस के बिना
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रिजल्ट्स नहीं। यूथ अगर इन तीन पीडर्स को बैलेंस करते हैं तो उन्हें अनस्टोपेबल
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सक्सेस मिलती है। चिनक्या का यह फार्मूला आज भी मॉडर्न वर्ल्ड में 100% एप्लीकेबल
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है। क्योंकि अगर प्लानिंग नहीं है तो आप एक ऐसे जहाज की तरह हैं जो जिसकी कोई रडार
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नहीं है। वो जिधर हवा लेकर जा रही है उधर जा रहा है। और प्लानिंग तो आपने बना ली।
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अब उसके सिस्टम्स सेट करने के बाद जो हार्ड वर्क है वह करना बहुत जरूरी है।
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जैसे मैंने बताया कि जिम जाने का प्लान बनाना इंपॉर्टेंट नहीं है। जिम जाकर वेट्स
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मारना वो बहुत इंपॉर्टेंट है। और मार्क्स अगर अच्छे लेने हैं वो तो सिर्फ प्लान है।
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बट हार्ड वर्क क्या है? प्लान मार्क्स अच्छे लेने के लिए पढ़ाई करना और पेशियस
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भी रखना। एकदम रिजल्ट नहीं आएंगे। आपने जिम जॉइन किया। सोचो कि आज ही आपको रिजल्ट आ जाए। आज ही आपके सिक्स पैक एप्स बन जाए।
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ऐसा नहीं होने वाला। और आज ही आप पढ़ें और आपको पूरा चैप्टर समझ में आ जाए ऐसा भी नहीं होने वाला। यह एक प्रोसेस है जिसको
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आप को पेशेंस के साथ देखना है। आगे चरणक्य कहते हैं अत्यधिक कामना व्यक्ति को बर्बाद
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कर देती है। डिजायर्स और एंबिश जरूरी है लेकिन ओवरग्रीड डिस्ट्रक्शन लाती है। यूथ
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को चाहिए कि अपनी एंबिशंस को बैलेंस करें। सेल्फ कंट्रोल और ग्रेटट्यूड के साथ ग्रोथ चस करें। बाउंड्रीज ना होने पर भी सक्सेस
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से स्ट्रेस और केओस में बदल सकते हैं। तो अपनी बाउंड्रीज सेट कीजिए और अपनी जिंदगी
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से केस यानी कंफ्यूजन को खत्म कीजिए। आगे चल के कहते हैं समझदार वही है जो संकट आने
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से पहले तैयारी करता है। यह बहुत इंपॉर्टेंट लाइन है। प्रोएक्टिव होना आज की दुनिया में सर्वाइवल स्किल है।
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इमरजेंसी फंड, अपस्किलिंग, मल्टीपल इनकम सोर्सेस यह सब पहले से तैयार यूथ ही
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कॉन्फिडेंट रहते हैं। चिक कहते हैं कि संकट आने के बाद रिडक्ट करना देर हो जाती है। स्मार्ट यूथ हमेशा अहेड रहते हैं और
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यह लाइन मॉडर्न वर्ल्ड में बहुत रेलेवेंट है। पिछले एक दो साल से हम देख रहे हैं कि एआई का रेवोल्यूशन आ चुका है। बहुत सारे
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करियर जो हुआ करते थे। कंटेंट राइटर का करियर खत्म हो चुका है। ग्राफिक डिजाइनर्स
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की जॉब जाने वाली है या बहुत कम हो गई है। क्यों? क्योंकि मार्केट चेंज हो रही है।
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ऐसे में जब सब कुछ बदल जाएगा तब आप कुछ सीखेंगे तो उससे बेहतर यह नहीं है कि अपने
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आपको आने वाले वर्ल्ड के लिए पहले ही तैयार कर लिया जाए। एआई पे हाथ लगाया जाए। एआई को समझा जाए। एआई की नॉलेज तो वैसे ही
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फ्री में मिल रही है। उसको नॉलेज क्यों ना ली जाए। इसलिए प्रोएक्टिव होना बहुत जरूरी है आज की दुनिया में। और आगे चक कहते हैं
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जो अपने गुरु और बुजुर्गों का सम्मान करता है वही आगे बढ़ता है। यह बहुत इंपॉर्टेंट
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है। गाइडेंस और मेंटरशिप से यूथ का रास्ता आसान होता है। जो लोग एल्डर्स और मेंटर्स
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की सीख को वैल्यू देते हैं, वह जल्दी सक्सेस पाते हैं। चाणक्य बताते हैं कि ह्यूमिलिटी और रिस्पेक्ट आपको विज़डम और
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ब्लेसिंग्स दोनों दिलाते हैं। और आपके जो मेंटर्स हैं या बुजुर्ग हैं, उनके पास
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हीप्स ऑफ एक्सपीरियंस है, हिप्स ऑफ नॉलेज है। उस नॉलेज का फायदा उठाइए। उनसे ज्ञान लीजिए। और दोस्तों अगर आप गौर से देखें तो
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चाणक्य की हर बात आज भी उतनी ही जीवंत और प्रैक्टिकल है। उन्होंने हजारों साल पहले जो प्रिंसिपल दिए थे वही आज की मॉडर्न
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दुनिया में हमें डायरेक्शन देते हैं। यूथ के लिए सबसे बड़ा मैसेज यही है। डिसिप्लिन, पेशेंस और स्मार्ट स्ट्रेटजी
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को अपनाओ। अगर आप अपने दोस्तों का चुनाव वाइज़ली करते हो, अपने टाइम को रिस्पेक्ट करते हो, फाइनेंसियल और इमोशनल
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इंडिपेंडेंस पर फोकस करते हो और लगातार सीखते रहते हो तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता। चिनके की लर्निंग सिर्फ किताबों की
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बातें नहीं बल्कि लाइफ के टेस्टेड ट्रुथ्स हैं। आज का यूथ अगर इन्हें डेली रूटीन और डिसीजन मेकिंग में लागू कर ले तो आने वाले
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सालों में वह ना सिर्फ सक्सेसफुल बल्कि रिस्पेक्टफुल लीडर्स बनेंगे। तो याद रखिए
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चुनक्य कहते हैं जो स्वयं पर नियंत्रण रखता है वही सच्चा विजेता है।