0:00
दोस्तों द भगवत गीता को हम भारतीय तो
0:04
सदियों से जानते हैं। लेकिन जरा सोचिए अगर
0:08
कोई अमेरिकन स्कॉलर इस ग्रंथ को खोले और
0:12
अपनी नजर से समझे तो वह इसमें क्या
0:14
देखेगा? वन थ्रोप सर्जेंट एक अमेरिकन
0:17
ट्रांसलेटर और फिलॉसफर ने द भगवत गीता को
0:20
सिर्फ धार्मिक ग्रंथ नहीं माना। वो कहते
0:23
हैं द गीता इस नॉट अबाउट हिंदूज़्म अलोन।
0:25
इट इज अबाउट द ह्यूमन कंडीशन। मतलब गीता
0:29
सिर्फ हिंदू धर्म की किताब नहीं है। यह
0:32
इंसान के जीवन और संघर्ष की कहानी है।
0:34
यानी गीता को वह सिर्फ मंदिर या पूजा तक
0:37
सीमित नहीं मानते बल्कि हर इंसान की
0:41
रोजमर्रा की जिंदगी के लिए एक मैनुअल फॉर
0:45
विंथॉप सर्जिंट का यह एडिशन इसीलिए इतना
0:48
प्रसिद्ध है क्योंकि यह रीडर को एक ही
0:51
किताब में चार पर्सपेक्टिव्स देता है।
0:54
पहला ओरिजिनल संस्कृत वर्स ताकि
0:58
ऑथेंटिसिटी बनी रहे। दूसरा इंग्लिश
1:03
जिससे संस्कृत अनफिमिलियर रीडर्स भी
1:07
उच्चारण कर सके। तीसरा वर्ड फॉर वर्ड
1:10
मीनिंग हर शब्द का सटीक अर्थ समझा सके।
1:14
फोर्थ डिटेल्ड कमेंट्री जो वर्स के गहरे
1:18
इनसाइट्स मॉडर्न लाइफ से जोड़ती है। इससे
1:21
यह किताब केवल स्कॉलर्स की नहीं बल्कि आम
1:24
लोगों के लिए भी एक्सेसिबल हो जाती है।
1:27
कोई भी व्यक्ति स्टूडेंट, प्रोफेशनल,
1:29
होममेकर या रिटायरी इस किताब को खोलकर समझ
1:32
सकता है कि गीता उसके जीवन के लिए क्या कह
1:37
चैप्टर वन द बैटल फील्ड ऑफ कुरुक्षेत्र।
1:40
कहानी की शुरुआत कुरुक्षेत्र के मैदान से
1:43
होती है। दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी
1:45
है। शंख बज चुके हैं और अर्जुन अपने
1:50
चैरिटियर यानी सारथी कृष्णा से कहता है कि
1:53
मेरा रथ दोनों सेनाओं के बीच ले चलो।
1:57
लेकिन जैसे ही अर्जुन चारों तरफ देखता है,
2:01
उसके अंदर एक भावनात्मक तूफान उठता है।
2:05
सामने उसके दादा भीष्म है। जिन्हें उसने
2:09
बचपन से पूजा है। उसके गुरु द्रोणा है
2:12
जिन्होंने उसे आर्चरी सिखाई है। उसके भाई
2:16
और रिश्तेदार खड़े हैं जिनसे खून का
2:19
रिश्ता है। अर्जुन की आंखें भर आती हैं।
2:22
उसका बो गांडीव हद से छूटने लगता है। मतलब
2:26
तीर कमान उसका शरीर कांपने लगता है। वह
2:29
कहता है माय लिस गिव वे माय माउथ इज पाड्ड
2:33
माय बॉडी ट्रेंबल्स एंड माय हेयर स्टैंड्स
2:36
ऑन एंड मतलब मेरे अंग शिथिल हो गए हैं।
2:41
मुंह सो गया है। शरीर कांप रहा है। रोम
2:45
खड़े हो गए हैं। यह सिर्फ एक वॉरियर का
2:48
ब्रेकडाउन नहीं है। यह हर इंसान की कहानी
2:51
है। जब वह किसी टफ डिसीजन के सामने खड़ा
2:58
अब बात करते हैं अर्जुनस इनर कॉन्फ्लिक्ट
3:02
आवर डेली लाइफ रिफ्लेक्शन। अर्जुन का यह
3:05
इमोशनल कोलैप्स हमें अपने जीवन में भी
3:08
दिखता है। जब हम किसी टफ डिसीजन में
3:11
फैमिली और ड्यूटी के बीच चुनना होता है।
3:14
जब हमें प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल एथिक्स
3:17
के बीच बैलेंस करना पड़ता है। जब इमोशंस
3:20
हमें रोकते हैं लेकिन जिम्मेदारी हमें पुश
3:22
करती है। उदाहरण लेते हैं स्टूडेंट का। एक
3:26
स्टूडेंट अपने पेरेंट्स की एक्सपेक्टेशंस
3:28
और अपनी पैशन के बीच फंसा है। पेरेंट्स
3:31
चाहते हैं कि वो डॉक्टर बने लेकिन उसका मन
3:34
आर्ट और डिजाइन में है। अर्जुन की तरह वो
3:36
भी बो गिरा देता है। मैं क्या करूं? दूसरा
3:40
एग्जांपल प्रोफेशनल। एक एंप्लॉय जानता है
3:43
कि उसके बॉस गलत काम कर रहे हैं। लेकिन
3:46
उसे अपोज करना मतलब नौकरी खोना। ठीक वैसे
3:49
ही जैसे अर्जुन को लगता था कि अपने ही
3:52
रिश्तेदारों पर तीर चलाना गलत होगा। तीसरा
3:55
फैमिली पर्सन एक होममेकर सोचती है मेरा
3:59
ड्यूटी है कि मैं सबकी खुशी देखूं लेकिन
4:02
मेरे अपने ड्रीम्स का क्या यह भी वही बैटल
4:06
फील्ड है यानी कुरुक्षेत्र का युद्ध सिर्फ
4:09
बाहरी युद्ध नहीं है यह इनर वॉर है जो हम
4:16
आगे बात करते हैं अर्जुनस सरेंडर इन
4:18
कृष्णास रिस्पांस चैप्टर टू अर्जुन अंत
4:22
में कृष्ण से कहते हैं आई एम योर डिसाइपल
4:25
प्लीज गाइड मी टेल मी व्हाट इज राइट फॉर
4:27
मी आपका शिष्य हूं मुझे मार्ग दिखाइए मुझे
4:31
बताइए कि मेरे लिए क्या सही है? यह मोमेंट
4:35
बहुत पावरफुल है क्योंकि जब तक अर्जुन खुद
4:38
को गुरु के सामने सरेंडर नहीं करता तब तक
4:41
कृष्णा गाइडेंस नहीं देते। लेसन जब तक हम
4:45
मानते नहीं कि हमें हेल्प चाहिए तब तक
4:48
हमें हेल्प मिल भी नहीं सकती।
4:52
आगे बात करते हैं कृष्णा की फर्स्ट टीचिंग
4:55
की। द एटरनल सोल। कृष्णा कहते हैं द सोल
4:58
इज नेवर बर्न नर डस इट एवर डाई। इट इज
5:01
एटरर्नल एवरलास्टिंग एंड बिय्ड
5:04
डिस्ट्रक्शन। आत्मा कभी जन्म नहीं लेती और
5:07
ना ही कभी मरती है। वह शाश्वत है, अविनाशी
5:11
है और कभी नष्ट नहीं होती। यानी जो मर रहा
5:14
है वह सिर्फ शरीर है। जो अमर है वह हमारी
5:18
आत्मा है। अब इस टीचिंग की रियल लाइफ
5:22
एप्लीकेशनेशंस देखते हैं। पहला लॉस एंड
5:24
ग्रीफ। जब हम किसी प्रियजन को खोते हैं,
5:27
हमें लगता है सब खत्म हो गया है। लेकिन
5:29
अगर आत्मा एटरनल है, तो इसका मतलब सेपरेशन
5:33
सिर्फ टेंपरेरी है। यह कंफर्ट देता है।
5:36
दूसरा फेलियर एंड सक्सेस। कभी हम फेल होते
5:40
हैं, कभी सक्सीड लेकिन हमारी कोर
5:42
आइडेंटिटी, हमारा ट्रू सेल्फ उन अप्स एंड
5:45
डाउन से परे है। तीसरा, फियर ऑफ डेथ। बहुत
5:49
लोग डेथ से डरते हैं। लेकिन अगर आत्मा कभी
5:52
मरती ही नहीं तो डर किस बात का?
5:55
आगे बात करते हैं कृष्णा की सेकंड टीचिंग
5:58
की ड्यूटी धर्मा। कृष्णा कहते हैं यू हैव
6:02
अ राइट टू परफॉर्म योर ड्यूटी बट नॉट टू द
6:05
रिजल्ट्स देयर ऑफ फॉर देयर ऑफ।
6:08
तुम्हें केवल अपने कर्म का अधिकार है।
6:13
यही यहां पर कृष्ण एक्शन और रिजल्ट्स को
6:16
अलग कर देते हैं। हमारा कंट्रोल केवल
6:19
एक्शन पर है। रिजल्ट्स हमारे हाथ में नहीं
6:21
है। रियल लाइफ एग्जांपल एक स्टूडेंट
6:23
एग्जाम की तैयारी करता है। उसका काम है
6:26
पढ़ाई करना। ऑनेस्टली रिजल्ट उसके हाथ में
6:29
नहीं। एक फार्मर खेत में बीज बोता है।
6:31
उसका काम है मेहनत और देखभाल। बारिश और
6:34
मौसम उसके कंट्रोल में नहीं। एक एंप्लई
6:37
मेहनत करता है। प्रमोशन उसके हाथ में
6:39
नहीं। लेकिन डडीिकेशन उसका अधिकार है।
6:44
अब व्हाई सर्जेंट्स कमेंट्री स्टैंड्स आउट
6:48
हियर? विनंथ्रोप सर्जेंट इन टीचिंग्स को
6:50
सिर्फ स्पिरिचुअल नहीं बताते बल्कि
6:53
साइकोलॉजिकल गाइडेंस की तरह एक्सप्लेन
6:55
करते हैं। उनके अनुसार अर्जुन का कोलैप्स
6:58
एक केस स्टडी है ह्यूमन साइकोलॉजी की और
7:01
कृष्णा की टीचिंग्स एक थेरेपी है जो हमें
7:03
डिप्रेशन, कंफ्यूजन और स्ट्रेस से बाहर
7:08
अब की टेक अवेज़ अभी तक जो हमने सुना। पहला
7:12
अर्जुन ऑल ऑफ अस हम सबका बैटल फील्ड अलग
7:14
है लेकिन डलेमा वही है। दूसरा सरेंडर टू
7:17
विज़डम। जब हम गाइडेंस के लिए ओपन होते हैं
7:20
तभी क्लेरिटी आती है। तीसरा सोल इज
7:23
एटरर्नल डेथ लॉस फेलियर। यह सब टेंपरेरी
7:27
है। हमारी असली पहचान अमर है। फोर्थ टू
7:30
योर ड्यूटी। एक्शन पर फोकस करो। रिजल्ट पर
7:33
नहीं। यही पीस और फ्रीडम का रास्ता है।
7:36
पांचवा यूनिवर्सल मैसेज। चाहे आप किसी भी
7:39
कल्चर से हो। यह टीचिंग्स हर इंसान की
7:42
जिंदगी में लागू होती है। तो दोस्तों,
7:45
भगवत गीता का अब तक का सार हमें यही
7:48
सिखाता है कि कंफ्यूजन, डर और दूर दुख से
7:51
भागना नहीं है। हमें उन्हें विज़डम से फेस
7:54
करना है। अर्जुन की तरह जब हम सरेंडर करके
7:57
हायर विज़डम से मार्गदर्शन लेते हैं, तभी
8:00
क्लेरिटी और स्ट्रेंथ आती है। आगे हम
8:02
एक्सप्लोर करेंगे कृष्णा का सबसे बड़ा लेसन
8:04
कर्म योगा। यानी कैसे हम काम करें बिना
8:08
आउटकम के बंधन में फंसे हुए और यकीन मानिए
8:11
अगर यह प्रिंसिपल जिंदगी में आ जाए तो
8:14
टेंशन और स्ट्रेस की आधी समस्या वहीं खत्म
8:19
दोस्तों हम सब ने यह सुना है कर्म करो फल
8:23
की चिंता मत करो। लेकिन क्या आपने कभी
8:27
सोचा है कि इसका असली मतलब क्या है?
8:29
कृष्णा ने यह बातें सिर्फ अर्जुन से नहीं
8:32
कर रहे थे बल्कि हर उस इंसान से कह रहे थे
8:36
जो जिंदगी के बैटल फील्ड में है। विंथ्रोप
8:39
सर्जिंट इस फिलॉसफी को कहते हैं द आर्ट ऑफ
8:41
एक्शन विदाउट अटैचमेंट। बिना आसक्ति के
8:46
कर्म करने की कला। यानी काम तो करना है
8:49
लेकिन उसके परिणामों के बोझ से खुद को
8:52
मुक्त रखना है। यही है कर्म योगा। कृष्णा
8:56
कहते हैं टू एक्शन अलोन यू हैव अ राइट।
8:58
नेवर टू इट्स फूट्स डू नॉट लेट द फ्रूट्स
9:01
ऑफ एक्शन बी योर मोटिव नॉट लेट योर
9:03
अटैचमेंट बी टू इन एक्शन कर्म करने का
9:08
अधिकार तुम्हें है लेकिन उसके फल का नहीं
9:11
फल की चिंता मत करो और अकर्मणता
9:16
कुछ ना करने से भी मत जुड़ो।
9:20
आज के टाइम पे यह टीचिंग क्यों मैटर करती
9:22
है? आज के टाइम में ज्यादातर स्ट्रेस इसी
9:25
वजह से है कि हम हर चीज का रिजल्ट पहले से
9:28
कंट्रोल करना चाहते हैं। स्टूडेंट सोचता
9:30
है अगर मार्क्स अच्छे नहीं आए तो मेरा
9:33
फ्यूचर खत्म है। प्रोफेशनल सोचता है अगर
9:36
प्रमोशन नहीं मिला तो मेरी मेहनत बेकार
9:39
है। एंटरप्रेन्योर सोचता है अगर बिजनेस
9:41
सक्सेस नहीं हुआ तो मैं फेलियर हूं।
9:44
कृष्णा कहते हैं काम आउटकम के लिए नहीं
9:47
ग्रोथ और ड्यूटी के लिए करो। आउटकम
9:50
नेचुरली आएगा। अब कुछ रियल लाइफ
9:53
एग्जांपल्स लेते हैं। स्टूडेंट्स लाइफ
9:55
इमेजिन एक स्टूडेंट नीट एग्जाम की तैयारी
9:58
कर रहा है। अगर वो दिन रात रिजल्ट के बारे
10:01
में सोचता है तो उसका फोकस पढ़ाई से हट
10:03
जाएगा। लेकिन अगर वो प्रोसेस पर ध्यान
10:06
देगा। रेगुलर स्टडी, डिसिप्लिन, रिवीजन तो
10:10
चांसेस सक्सेस के बढ़ जाएंगे। अब सोचिए
10:14
यही बात एटॉमिक हैबिट्स बुक में भी कही गई
10:17
है। इसका मतलब गीता में जो आज से लगभग
10:20
34000 साल पहले बताया गया और वो मॉडर्न जो
10:25
ऑथर्स हैं वो आज की डेट में लिख रहे हैं।
10:28
एटॉमिक हैबिट्स में लिखा है कि हमें फोकस
10:32
करना है सिस्टम पे। ना ज्यादा प्लानिंग पे
10:35
और ना ज्यादा डेडलाइन पे। सिस्टम से चलो।
10:38
डेडलाइन पे फोकस मत करो। अपने आप चीजें हो
10:40
जाएंगी। अब दूसरा एग्जांपल लेते हैं वर्क
10:43
बेस का। एक एंप्लई सोचता है प्रमोशन मिलना
10:46
चाहिए। अगर सिर्फ प्रमोशन पर फोकस करेगा
10:49
तो फ्रस्ट्रेशन आएगा। लेकिन अगर अपने काम
10:52
को डडीिकेशन से करेगा तो रिस्पेक्ट और
10:55
ग्रोथ दोनों नेचुरली मिलेंगे। आगे आ जाते
10:58
हैं रिलेशनशिप्स पे। हम अक्सर रिलेशनशिप्स
11:01
में एक्सपेक्टेशंस सेट कर लेते हैं। अगर
11:04
मैंने इतना किया तो सामने वाला भी
11:06
रेसिप्रोकेट करेगा। रिजल्ट पर डिपेंडेंसी
11:09
बढ़ जाती है। लेकिन अगर हम बिना कंडीशन के
11:13
लव और केयर करें तो बॉन्ड और स्ट्रांग
11:17
होता है। अब यहां एक बड़ा कंफ्यूजन होता
11:21
है। जब हम डिटचमेंट वर्सेस इनडफरेंस की
11:24
बात करते हैं। बहुत लोग सोचते हैं फल की
11:27
चिंता मत करो। का मतलब है कि हमें
11:30
रिजल्ट्स की परवाह ही नहीं करनी चाहिए।
11:32
लेकिन कृष्णा कहते हैं डिटचमेंट
11:36
इनडिफरेंस। डिटचमेंट इज इक्वल टू आउटकम से
11:39
बनना नहीं। इनडफरेंस का मतलब है आउटकम की
11:43
परवाह ही ना करना। एग्जांपल फार्मर
11:47
क्रॉप बोता है। डिटचमेंट का मतलब है वो
11:50
मेहनत करता है लेकिन जानता है कि मौसम
11:52
उसके कंट्रोल में नहीं। इनडिफरेंस का मतलब
11:55
होगा क्रॉप बोई और केयर भी नहीं की। ये
12:02
अब सर्जेंट की एक्सप्लेनेशन सुनते हैं।
12:04
विंथ्रोप सर्जेंट यहां साइकोलॉजी की भाषा
12:07
में कहते हैं अटैचमेंट टू रिजल्ट्स इज द
12:10
रूट ऑफ एंग्जायटी। परिणाम से आसक्ति ही
12:14
चिंता की जड़ है। उनके अनुसार जब हम एक्शन
12:18
को प्योर ड्यूटी मानते हैं तो हमें इनर
12:21
फ्रीडम मिलती है। जब हम रिजल्ट से बंध
12:24
जाते हैं तो माइंड में हमेशा टेंशन और
12:27
फियर रहता है। आगे बात करते हैं द आईडिया
12:31
ऑफ सेल्फलेस सर्विस। कृष्ण कहते हैं बाय
12:34
सेल्फलेस एक्शन वन कैन रीच द सुप्रीम
12:39
निस्वार्थ कर्म द्वारा ही परम प्राप्त
12:41
किया जा सकता है। यह प्रिंसिपल आज भी उतना
12:44
ही पावरफुल है। जब कोई डॉक्टर जेनुइनली
12:48
लोगों की सर्विस करता है तो सिर्फ पैसे के
12:51
लिए नहीं करता। जब कोई टीचर ऑनेस्टली
12:53
स्टूडेंट्स को गाइड करता है तो सिर्फ
12:55
सैलरी के लिए नहीं करता। जब कोई चाइल्ड
12:58
अपने पेरेंट्स की केयर करता है, वह सिर्फ
13:01
ड्यूटी के लिए नहीं करता। वो प्रेम से
13:03
करता है। सेल्फलेस एक्शन हमें सिर्फ
13:06
दूसरों की नजरों में महान नहीं बनाता
13:08
बल्कि हम खुद के भीतर पीस और फुलफिलमेंट
13:12
देता है। आगे बात करते हैं वर्क एस वरशिप।
13:15
कृष्ण कहते हैं काम को भगवान की पूजा की
13:18
तरह देखो। व्हाटएवर यू डू, व्हाटएवर यू
13:21
ईट, व्हाटएवर यू ऑफर, डू इट एस एन ऑफरिंग
13:24
टू मी। तुम जो भी करते हो, खाते हो, अर्पण
13:27
करते हो, सब मुझे अर्पित करो। इसका मतलब
13:31
क्या है? हम हर एक्शन को सेक्रेड माने।
13:34
ऑफिस का काम भी उतना ही सेक्रेड है जितनी
13:38
पूजा। कुकिंग भी उतना ही सीक्रेट है जितना
13:41
मेडिटेशन। अगर हम हर एक्शन को वर्किंग मान
13:44
लें तो बोर्डम और स्ट्रेस खत्म हो जाता
13:49
अब जो कुछ हमने सुना इसका प्रैक्टिकल
13:52
एप्लीकेशन क्या है? पहला स्टूडेंट्स पढ़ाई
13:55
को भगवान को अर्पित मानकर करो। सिर्फ
13:58
मार्क्स के लिए नहीं बल्कि ग्रोथ के लिए।
14:01
प्रोफेशनल्स काम को सिर्फ पेक के लिए मत
14:03
करो। उसे एक्सीलेंस के लिए करो। होममेकर्स
14:06
घर के काम को बोझ मत समझो। उसे सेवा मानकर
14:11
कृष्णा एक और इंपॉर्टेंट पॉइंट कहते हैं
14:14
डू नॉट बी अटैच्ड टू इनएक्शन। मतलब अकर्म
14:18
न्यायता से मत जुड़ो। कई बार लोग सोचते
14:21
हैं अगर रिजल्ट मेरे हाथ में ही नहीं है
14:24
तो क्या मेहनत करें? लेकिन कृष्णा कहते
14:26
हैं एक्शन ही जीवन है। एग्जांपल अगर
14:29
डॉक्टर ऑपरेशन ना करें क्योंकि रिजल्ट
14:32
अनसर्टेन है तो पेशेंट का क्या होगा? अगर
14:35
स्टूडेंट एग्जाम ही ना दे क्योंकि मार्क्स
14:38
गारंटी नहीं तो उसके फ्यूचर का क्या होगा?
14:41
इसीलिए एक्शन मस्ट कंटिन्यू रिजल्ट्स विल
14:45
फॉलो। अब आज की दुनिया में भी यह मैसेज
14:48
बहुत रेलेवेंट है। यह रेजोनेट करता है। आज
14:51
की दुनिया में ए्जायटी और डिप्रेशन का
14:53
सबसे बड़ा कारण है ओवरथिंकिंग अबाउट
14:55
रिजल्ट्स। सोशल मीडिया कंपैरिजन उसके पास
14:58
इतना है मेरे पास क्यों नहीं? करियर
15:00
प्रेशर अगर नेक्स्ट स्टेप क्लियर नहीं तो
15:02
मैं फेल हूं। फैमिली एक्सपेक्टेशन अगर मैं
15:05
उनकी उम्मीद पर खरा ना होता तो मेरी
15:07
वैल्यू क्या है? कृष्णा का मैसेज हमें इस
15:09
ट्रैप से बाहर निकालता है।
15:12
तो अभी हमने सीखा फोकस ऑन एक्शन नॉट
15:15
रिजल्ट्स। हमारे कंट्रोल में केवल कर्म
15:21
एंड इनडिफरेंस। आउटकम की परवाह करें लेकिन
15:25
उसमें बंधे नहीं। सेल्फलेस सर्विस इज
15:28
इक्वल टू इनर पीस। निस्वार्थ कर्म
15:31
अल्टीमेट फुलफिलमेंट लाता है। वर्क एज
15:34
वरशिप। हर एक्शन को पूजा माने। एक्शन इज
15:37
लाइफ। अकर्मन्यता या लेजीनेस से बचें।
15:43
तो दोस्तों, कर्म योगा में कृष्णा हमें
15:46
बताते हैं कि जिंदगी का सीक्रेट है काम
15:48
करना। लेकिन आउटकम के बोध से खुद को मुक्त
15:51
रखना। सोचिए अगर हम सचमुच इस प्रिंसिपल को
15:55
फॉलो करें तो स्ट्रेस, ए्जायटी और फियर
15:57
आधे रह जाएंगे। हम पूरी फ्रीडम के साथ काम
15:59
कर पाएंगे और जिंदगी को एक नए नजरिए से
16:02
देख पाएंगे। आगे हम एक्सप्लोर करेंगे
16:05
भक्ति योगा यानी डिवोशन और सरेंडर की
16:08
शक्ति। कैसे भगवान से जुड़कर हम इनर
16:11
स्ट्रेंथ और अल्टीमेट फ्रीडम पा सकते हैं।
16:17
दोस्तों, आपने यह जरूर सुना होगा भक्ति
16:19
में शक्ति है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा
16:22
है कि आखिर क्यों इतने सारे लोग जीवन की
16:25
कठिनाइयों में भगवान को याद करते हैं? विन
16:28
थ्रूप सर्जन कहते हैं भक्ति इज नॉट
16:31
ब्लाइंड फथ। इट इज द डीपेस्ट कनेक्शन ऑफ द
16:33
हार्ट वि द हाईएस्ट ट्रुथ। भक्ति
16:36
अंधविश्वास नहीं है। यह हृदय को सर्वोच्च
16:40
सत्य से सबसे गहरा संबंध है। यानी भक्ति
16:44
सिर्फ मंदिर जाकर पूजा करने या रिचुअल्स
16:46
करने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा इनर
16:50
रिलेशनशिप है जो हमें स्ट्रेंथ, क्लेरिटी
16:52
और पीस देता है। भक्ति योगा, द पाथ ऑफ
16:56
डिवोशन। कृष्णा अर्जुन से कहते हैं फिक्स
17:00
योर माइंड ऑन मी बी डिवोटी टू मी
17:02
सैक्रिफाइस टू मी बो डाउन टू मी यू शैल कम
17:04
टू मी अपना मन मुझ पर लगाओ मेरी भक्ति करो
17:09
मुझे अर्पित करो मुझे प्रणाम करो तुम अंतत
17:15
यही कृष्णा यह क्लियर कर देते हैं कि
17:17
भक्ति कोई कमजोरी नहीं है बल्कि अल्टीमेट
17:20
स्ट्रेंथ है व्हाट इज ट्रू भक्ति ट्रू
17:24
भक्ति क्या है सच्ची भक्ति क्या है ट्रू
17:26
भक्ति इज इक्वल टू सरेंडर ऑफ ईगो प्लस
17:29
ट्रस्ट इन हायर पावर। तो सच्ची भक्ति वह
17:34
है जहां पर हम अपने आप को मैं क्या हूं उस
17:36
बात को छोड़ देते हैं और हमारा हम विश्वास
17:41
सर्वोच्च पर सबसे बड़ी पावर पर हाईएस्ट
17:44
पावर पर भगवान पर। इसका मतलब यह नहीं है
17:46
कि हम काम करना छोड़ दें और सिर्फ भगवान
17:49
का नाम लें। इसका मतलब है कि हम अपने हर
17:52
एक्शन को डिवाइन, ट्रस्ट और सरेंडर के साथ
17:55
करें। एग्जांपल एक बच्चा जब पेरेंट का हाथ
17:58
पकड़ता है तो उसे डर नहीं लगता। उसी तरह
18:00
जब इंसान भगवान पर फेथ रखता है तो उसे
18:04
लाइफ की अनसर्टेनिटी से डर नहीं लगता।
18:07
रियल लाइफ एप्लीकेशनेशंस देखते हैं।
18:09
स्टूडेंट्स जब एग्जाम स्ट्रेस आता है,
18:11
भक्ति का मतलब है पूरी मेहनत करो और फाइनल
18:14
रिजल्ट को हायर पावर पर छोड़ दो।
18:17
प्रोफेशनल्स जब जॉब प्रेशर ज्यादा होता
18:19
है। भक्ति का मतलब है अपने काम में बेस्ट
18:22
दो और ट्रस्ट रखो कि राइट आउटकम आएगा।
18:27
रिलेशनशिप्स जब मिसअंडरस्टैंडिंग्स हो।
18:30
भक्ति का मतलब है ईमानदारी से प्रयास करो
18:34
और बाकी फ्लो पर छोड़ दो। कृष्ण कहते हैं
18:38
आई एम द सेम टू ऑल बीइंग्स। बट दोज़ हु
18:41
वरशिप मी विद डिमोशन आर इन मी एंड आई एम
18:45
इन देम। मैं सभी प्राणियों में समान हूं।
18:49
परंतु मेरी जो भी भक्ति करते हैं वे मुझसे
18:52
मुझ में रहते हैं और मैं उनमें इसका मैसेज
18:56
सिंपल है। भगवान कास्ट, क्रीड, स्टेटस,
18:59
रिलीजन से अलग है। भक्ति सबके लिए इक्वल
19:03
है। अब बात करते हैं भक्ति वर्सेस ब्लाइंड
19:06
फेथ। बहुत लोग सोचते हैं कि भक्ति मतलब
19:09
सिर्फ रिचुअल्स, पूजा पाठ और ब्लाइंड
19:11
फॉलोइंग। लेकिन कृष्ण कहते हैं भक्ति का
19:14
असली मतलब है लव प्लस सरेंडर प्लस ट्रस्ट।
19:18
विंथ्रोप सर्जेंट यहां कहते हैं ट्रू
19:20
डिवोशन इज लव विदाउट कंडीशंस एंड ट्रस्ट
19:24
विदाउट फियर। सच्ची भक्ति है प्रेम बिना
19:27
शर्तों का और विश्वास बिना डर का। अब इसके
19:31
प्रैक्टिकल एग्जांपल्स देखते हैं। डॉक्टर
19:34
जब डॉक्टर पेशेंट्स को ट्रीट करता है और
19:36
साइटेंटली भगवान से प्रार्थना करता है कि
19:39
उसके हाथों से सब अच्छा हो। यह भक्ति है।
19:43
अहो मेकर जब कोई मां खाना बनाते हुए भगवान
19:45
को याद करती है और उसे सेवा मानती है, यह
19:49
भक्ति है। एक स्टूडेंट जब कोई स्टूडेंट
19:51
पढ़ाई करते हुए भगवान से गाइडेंस मांगता
19:54
है, यह भक्ति है। आगे बात करते हैं सरेंडर
19:57
वर्सेस वीकनेस। बहुत बार लोग सोचते हैं
20:00
अगर हम सरेंडर कर देंगे तो हम कमजोर बन
20:03
जाएंगे। लेकिन कृष्णा कहते हैं सच्चा
20:05
सरेंडर मतलब है ईगो छोड़कर अपने आप को
20:08
डिवाइन से जोड़ लेना। एग्जांपल जैसे कोई
20:10
म्यूजिशियन जब पूरी तरह म्यूजिक में डूब
20:12
जाता है तो वह खुद को भूलकर मेलोडी बन
20:15
जाता है। इसी तरह जब इंसान सरेंडर करता है
20:19
तब उसकी वीकनेस स्ट्रेंथ में बदल जाती है।
20:22
आगे बात करते हैं व्हाई भक्ति इज पावरफुल
20:25
इन मॉडर्न टाइम्स। आज की दुनिया में
20:27
लोनलीनेस, स्ट्रेस और डिप्रेशन कॉमन है।
20:30
हमारी आउटर सक्सेस बहुत बार इनर ए्प्टीनेस
20:33
को नहीं भर पाती। भक्ति योगा हमें इनर
20:36
कनेक्शन देता है। हमें यह बताता है कि हम
20:38
अकेले नहीं हैं। यह हमें एक हायर स्ट्रेंथ
20:42
से जोड़ता है। यह हमें करेज देता है टफ
20:45
टाइम्स में भी आगे बढ़ने का।
20:48
आगे बात करते हैं द पावर ऑफ रेपटीशन, भजन,
20:51
मंत्र, प्रेयर। कृष्णा कहते हैं कि लगातार
20:54
स्मरण रिमेंबेंस से मन क्लियर होता है।
20:57
मॉडर्न साइंस भी कहता है रिपीटीशन से
20:59
ब्रेन की वायरिंग बदलती है। एग्जांपल कोई
21:02
रोज गायत्री मंत्र जपता है उसके माइंड में
21:05
कामनेस आती है। कोई रोज ग्रेटट्यूड प्रेयर
21:08
करता है उसके बिहेवियर में पॉजिटिविटी आती
21:11
है। विंथोप सर्जेंट कहते हैं भक्ति
21:13
ट्रांसफॉर्म्स द रेस्टलेस माइंड इनू अ
21:15
पीसफुल हार्ट। भक्ति अशांत मन को शांत
21:18
हृदय में बदल देती है। आगे बात करते हैं
21:22
भक्ति एंड रिलेशनशिप्स। भक्ति योगा सिर्फ
21:25
भगवान से जुड़ना नहीं बल्कि दूसरों से
21:27
जुड़ना भी है। अगर हम इंसान में डिवाइन
21:30
देखते हैं तो रिलेशनशिप्स नेचुरली बेटर हो
21:32
जाते हैं। एंगर, जेलसी और हेट्रेट कम हो
21:35
जाते हैं। एग्जांपल ऑफिस में अगर हम कोलीग
21:38
को डिवाइन सोल मानकर डील करें तो
21:41
कॉन्फ्लिक्ट्स कम हो जाएंगे। फैमिली में
21:42
अगर हम हर मेंबर को भगवान का अंश माने तो
21:48
तो अभी तक जो हमने बोला और आपने सुना
21:51
उसमें से जो की पॉइंट्स हैं वो यह है
21:54
भक्ति इज इक्वल टू डीप कनेक्शन। भगवान से
21:57
दिल का रिश्ता रिचुअल्स से परे। सरेंडर इज
22:01
इक्वल टू स्ट्रेंथ। सरेंडर वीकनेस नहीं
22:03
बल्कि स्ट्रेंथ है। इक्वल विज़न पक्की सबके
22:07
लिए है। बिना कास्ट, क्रीड या रिलीजन के
22:08
फर्क के। चौथा पावर ऑफ प्रेयर एंड मंत्र।
22:12
रिपीटीशन से मेन पीसफुल और हार्ट लविंग
22:15
बनता है। पांचवा भक्ति इन डेली लाइफ। हर
22:18
काम, हर रिलेशनशिप को भगवान से जोड़ना। तो
22:23
दोस्तों अभी हमने जो भगवत गीता का यह पाठ
22:27
है हमें भक्ति योगा सिखाता है। हमें याद
22:29
दिलाता है कि असली स्ट्रेंथ सिर्फ हमारे
22:32
स्किल्स, वेल्थ या अचीवमेंट से नहीं आती।
22:34
असली स्ट्रेंथ आती है जब हम अपने दिल को
22:37
भगवान से जोड़ते हैं जब हम सरेंडर करते
22:39
हैं और अनकंडीशनल ट्रस्ट रखते हैं। आगे हम
22:44
बात करेंगे जहां कृष्णा हमें अल्टीमेट
22:47
नॉलेज देंगे। जनन योगा ज्ञान योगा यानी
22:51
विज़डम सेल्फ रियलाइजेशन और अल्टीमेट
22:55
फ्रीडम का रास्ता। स्टे ट्यूंड क्योंकि
22:59
वहां से गीता का असली क्लाइमेक्स शुरू
23:03
होता है। दोस्तों अब तक हमने देखा कृष्णा
23:07
ने अर्जुन को कर्म, ध्यान और भक्ति के
23:11
रास्ते समझाए। लेकिन जरा सोचिए अगर जीवन
23:14
का अल्टीमेट गोल सिर्फ काम करना या पूजा
23:17
करना नहीं है बल्कि स्वयं को जानना है तो
23:22
वन थ्रू उपसर्जेंट कहते हैं नॉलेज इज नॉट
23:24
अबाउट गैदरिंग इन इट इज अबाउट रियलाइजिंग
23:27
द सेल्फ। ज्ञान का मतलब सिर्फ जानकारी
23:29
इकट्ठा करना नहीं है बल्कि स्वयं को
23:32
पहचानना है। यानी असली ज्ञान किताबों से
23:35
नहीं बल्कि अंदर से आता है। यही है गीता
23:37
का अंतिम संदेश ज्ञान योगा।
23:42
कृष्ण कहते हैं व्हेन अ मैन सीस ऑल
23:44
बीइंग्स इज इक्वल इन सफरिंग और जॉय बिकॉज़
23:49
दे आर लाइक हिमसेल्फ। ही इज कंसीडर्ड
23:52
सुप्रीम योगी। जब इंसान सब प्राणियों को
23:56
दुख और सुख पर अपने समान देखता है तब वह
24:01
श्रेष्ठ योगी कहलाता है। यहां कृष्णा हमें
24:04
बताते हैं कि असली ज्ञान सिर्फ फैक्ट्स
24:06
जानना नहीं है। असली ज्ञान है यूनिटी
24:09
देखना। सब में स्वयं को देखना। नॉलेज
24:12
वर्सेस विज़डम। नॉलेज, इंफॉर्मेशन, बुक्स,
24:15
डेटा, विज़डम, ज्ञान, एक्सपीरियंस,
24:17
रियलाइजेशन, डीपर अंडरस्टैंडिंग। एग्जांपल
24:20
कोई स्टूडेंट फिजिक्स पढ़ता है, वह नॉलेज
24:23
है। लेकिन जब वह नेचर को देखता है और उसके
24:26
लॉस को एक्सपीरियंस करता है, वह विज़डम है।
24:29
सर्जियन कहते हैं, विज़डम इज सीइंग द एटरनल
24:32
ट्रुथ बिहाइंड टेंपरेरी अपीयरेंसेस।
24:35
बुद्धिमता बुद्धिमता का अर्थ है अस्थाई
24:39
रूपों के पीछे छिपे शाश्वत सत्य को देखना।
24:43
अब ज्ञान योगा का रियल मीनिंग क्या है?
24:46
पहला सेल्फ अवेयरनेस। यह जानना कि मैं
24:49
सिर्फ बॉडी या जॉब टाइटल नहीं हूं। मैं
24:52
उससे बड़ा हूं। दूसरा इक्वलिटी दूसरों में
24:56
भी वही आत्मा देखना जो मेरे अंदर है।
25:00
तीसरा डिटचमेंट टेंपरेरी चीजों में फंसना
25:03
नहीं बिगगर पिक्चर को देखना। एग्जांपल जब
25:06
हम जॉब में प्रमोशन के लिए कमपीट करते हैं
25:09
और जेलसी से भर जाते हैं तब ज्ञान नहीं
25:11
होगा। हमें याद दिलाता है कि रियल वर्थ
25:13
हमारी इनर ग्रोथ है ना कि एक्सटर्नल
25:16
टाइटल। आगे बात करते हैं द रोल ऑफ
25:19
डिटचमेंट। कृष्ण कहते हैं वन हु डस ह
25:22
ड्यूटी विदाउट अटैचमेंट सरेंडरिंग द
25:25
रिजल्ट्स टू द लैंड इज अनफेक्टेड बाय सीन
25:28
एस अ लोटस इज अनटच बाय वाटर। जो इंसान
25:32
अपना काम बिना आसक्ति के करता है और
25:35
परिणाम भगवान को स्मृत कर देता है। वह पाप
25:39
से वैसे ही अछूता रहता है जैसे कमल का फूल
25:41
पानी से। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें
25:44
काम से भागना है बल्कि काम करते हुए उसमें
25:47
फंसना नहीं है। प्रैक्टिकल एग्जांपल्स
25:50
देखते हैं डिटचमेंट की पहला स्टूडेंट्स
25:52
एग्जाम में पढ़ाई पर फोकस करना। मार्क्स
25:55
की ए्जायटी पर रहना। प्रोफेशनल्स मेहनत
25:57
करना लेकिन सक्सेस या फेलियर को ईगो पर
26:00
हावी ना होने देना। रिलेशनशिप्स प्यार
26:02
करना लेकिन पज़ेसिवनेस या कंट्रोल में ना
26:05
फंसना। आगे बात करते हैं ज्ञान एंड सेल्फ
26:08
रियलाइजेशन। सर्जन लिखते हैं सेल्फ
26:11
रियलाइजेशन इज द अंडरस्टैंडिंग दैट आत्मा
26:13
सेल्फ एंड ब्राह्मण यूनिवर्स रियलिटी आर
26:17
वन ट्रांसलेशन स्वयं की पहचान का अर्थ है
26:20
आत्मा और ब्रह्मा एक ही हैं। यह अल्टीमेट
26:24
फ्रीडम है। जब हम यह समझ जाते हैं कि हम
26:27
सब एक ही डिवाइन सोर्स के हिस्से हैं तो
26:29
ना जेलसी रहती है ना फियर ना हेट।
26:34
आज की फास्ट स्पेस दुनिया में लोग खुद को
26:36
टाइटल्स से डिफाइन करते हैं। आई एम अ
26:38
मैनेजर। आई एम अ बिज़नेसमैन। आई एम एन
26:40
इन्फ्लुएंसर। लेकिन ज्ञान योगा हमें याद
26:43
दिलाता है। हम सिर्फ यह रोल्स नहीं है। हम
26:46
एटरर्नल आत्मा है। जब हम जब हमारी जॉब छूट
26:50
जाती है तो बहुत लोग टूट जाते हैं। लेकिन
26:53
ज्ञान योगा कहता है जॉब सिर्फ रोल था।
26:55
असली आइडेंटिटी उससे कहीं ज्यादा बड़ी है।
26:59
पैलेस ऑफ कर्मा भक्ति एंड ज्ञान। कृष्णा
27:02
बार-बार कहते हैं सिर्फ एक पाथ काफी नहीं
27:04
है। कर्म योगा का मतलब है काम करना। भक्ति
27:08
योगा का मतलब है सरेंडर और ट्रस्ट और
27:10
ज्ञान योगा का मतलब है विज़डम
27:11
ऑर्गेनाइजेशन। तीनों मिलकर कंप्लीट लाइफ
27:14
बनाते हैं। इनर फ्रीडम मोक्ष द अल्टीमेट
27:18
गोल कृष्णा बताते हैं मोक्ष यानी मुक्ति।
27:21
यह किसी हैवन या आफ्टर लाइफ तक सीमित
27:24
नहीं। मोक्ष का मतलब है अभी इसी जीवन में
27:27
इनर फ्रीडम पाना। विंथूप सर्जियन कहते हैं
27:30
लिबरेशन इज फ्रीडम फ्रॉम फियर फ्रॉम
27:32
डिजायर एंड फ्रॉम इग्नोरेंस। मुक्ति का
27:35
अर्थ है डर, इच्छा और अज्ञान से आजादी।
27:38
कोई एंटरप्रेन्योर बिजनेस में बार-बार फेल
27:41
होता है, अगर वह अपनी फेलियर्स से डरना
27:43
छोड़ देता है, अपनी डिजायर्स को बैलेंस
27:45
करता है और विज़डम से काम करता है, तो वही
27:48
है लिविंग विद मोक्षा।
27:51
अब हमने जो सीखा वो यह है कि ज्ञान योगा,
27:55
नॉलेज से ऊपर विज़डम, सेल्फ रियलाइजेशन और
27:58
इक्वलिटी लेकर आता है। डिटचमेंट काम करना
28:01
लेकिन रिजल्ट से बनना नहीं। सेल्फ
28:03
रियलाइजेशन आत्मा और ब्रह्मा की एकता को
28:06
समझना बैलेंस ऑफ पाथ्स कर्मा प्लस भक्ति
28:09
प्लस ज्ञान मिलकर कंप्लीट जीवन बनते हैं।
28:12
मोक्ष फ्रीडम फ्रॉम फियर डिजायर इग्नोरेंस
28:18
तो दोस्तों, द भगवत गीता का यह सफर हमें
28:21
दिखाता है कि लाइफ सिर्फ एक्सटर्नल सक्सेस
28:24
या फेलियर्स का खेल नहीं है। यह एक जर्नी
28:27
काम करने की, कर्मा, सरेंडर करना, भक्ति
28:30
और खुद को पहचानना ज्ञान की। वथ्रुप सर्जन
28:33
कहते हैं, द गीता इज नॉट अबाउट रनाउंसिंग
28:36
द वर्ल्ड। इट इज अबाउट ट्रांसफॉर्मिंग द
28:38
वे लिव इट। गीता दुनिया छोड़ने का नहीं
28:41
बल्कि उसमें जीने के तरीकों को बदलने की
28:44
किताब है। यानी गीता हमें भागने नहीं
28:47
बल्कि स्ट्रांगर और वाइजर बनकर जीना
28:49
सिखाती है। और यही है इसकी सबसे बड़ी
28:51
रेलेवेंस। चाहे आप स्टूडेंट हो प्रोफेशनल